*संगीता श्रीवास्तव सुमन*
ऐसे ही एनकाउंटर निर्भया और
बाकी केसेस में देखने को मिले |
ये कविता ख़ास , ये लिखते वक्त ही ये ख़बर आयी |
हर तरफ़ हवा दमघोट रही
सांसें धड़कन को, मर जाती |
कब बदलेगी फ़ितरत दुनिया
जो कीचड़ कभी उतर जाती |
इस ग़म की रात गुजर जाती
तुम हँस देती न, सँवर जाती |
ये मातम सा जो फैला है
ज़िन्दगी आसान कर जाती |
ये भेद हमी ने हैं पाले
बहन भाई बराबर जाती |
संसद अदालत सियासत अब
वहशीयत देख सिहर जाती |
मन ,मन की बातों का मौसम
तू अपने मन ही धर जाती |
ऐ काश कयामत आ जाती
कोई खुशी दे ख़बर जाती |
*संगीता श्रीवास्तव सुमन
बाकी केसेस में देखने को मिले |
ये कविता ख़ास , ये लिखते वक्त ही ये ख़बर आयी |
हर तरफ़ हवा दमघोट रही
सांसें धड़कन को, मर जाती |
कब बदलेगी फ़ितरत दुनिया
जो कीचड़ कभी उतर जाती |
इस ग़म की रात गुजर जाती
तुम हँस देती न, सँवर जाती |
ये मातम सा जो फैला है
ज़िन्दगी आसान कर जाती |
ये भेद हमी ने हैं पाले
बहन भाई बराबर जाती |
संसद अदालत सियासत अब
वहशीयत देख सिहर जाती |
मन ,मन की बातों का मौसम
तू अपने मन ही धर जाती |
ऐ काश कयामत आ जाती
कोई खुशी दे ख़बर जाती |
*संगीता श्रीवास्तव सुमन
अब नये रूप में वेब संस्करण शाश्वत सृजन देखे
शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-
अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com
या whatsapp करे 09406649733
0 टिप्पणियाँ