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उठ जाग मुसाफिरःसमझ जरा



*डॉ सन्दीप अवस्थी*



यह 60 साल बाद घर बैठे वामपंथी ,जो वामपन्थ मार्क्स के यहाँ भी खत्म हो गया,की गलत सोच है। जो इस प्राचीन देश को सिर्फ मुगल काल से ही आरभ मानते है। मेरे मित्र  इनकी पोस्ट का तो जवाब भी नही देना चाहिए हम लोगो को।क्योकि मुगलों से हज़ारो वर्ष पूर्व मौर्य,गुप्त ,नंद वंश के समय और बुद्धकालीन भारत इतना ज्यादा सुव्यवस्थित, भव्य था कि उससे ही पूरे विश्व में संदेश जाता और हम आज और आगे होते विकास,अमन,और शांति में। परन्तु इन लोगो ने बड़ी चालाकी से विदेशियों को ही भारत भाग्य विधाता माना। और तत्कालीन सरकारों ने इन्हें बढ़ावा दिया क्योकि वह खुद देश को लूटने में लगे थे। अब जब सब साफ हो रहा है,देश आगे बद्ग रहा है तो पोलें खुल रही है।तभी ऐसी वाहियात बातें यह करते है। और वह भी आधी अधूरी। एक लेखक के रूप में बता दूं,उस वक़्त आम महिला और बालिका,पुरुष की डील डोल और स्थिति आज से बहुत मजबूत थी। और अलग अलग काल खंड में वहां के समाज और शासन ने निर्णय लिए।  साथ ही गोना प्रथा थी ,जब उपयुक्त उम्र में ही बालिका अपने मातापिता की सहमति से ससुराल जाती थी।  और उस वक़्त समाज की इस व्यवस्था और साथ ही गणिका प्रणाली भी थी, से महिलाओ के प्रति अत्यचार बहुत ही कम थे।  साथ ही उस वक़्त के शिक्षा केन्द्र ,नालंदा, तक्षशिला आदि इतने विश्वविख्यात थे कि अनेक देशों से विद्यार्थी पढ़ने आते थे,।मुझे अवसर मिला जब मैं एमडीएस यूनिवर्सिटी ,अजमेर में पर्यटन और संस्क्रति केंद्र में ऐसो.प्रोफेसर 3 वर्ष  था,तब मैंने अनेक प्राचीन पुस्तको ,और बिद्वानो से चर्चा की और यह सच्चाई सामने आई कि वास्तव में भारत बेहद बेहद बिकसित था,हर क्षेत्र में।और आज़ादी के बाद के पालतू इतिहासकारों ने पूरा इतिहास गलत लिखा, पढ़ाया। और विदेश यात्राएं की। यह उसी के वंशज है। अंत मे जो आपको और अनेक युवाओं को भृमित करने का असफल प्रयास करते है। और हां इससे भी हज़ारो वर्ष पूर्व सिंधु सभ्यता मातृ सत्तात्मक थी। अर्थात उस वक़्त घर और सभी बड़े फैसले महिलाएं ही लेती थी। हम अपनी इस विपुल थाती पर गर्व करते हैं। और उसी परम्परा को आगे बढ़ते हुए देख रहे हैं। और अपना योगदान दे।वह ऐसे की हमने आज अपने घर,देश और समाज के लिए क्या अच्छा कार्य किया??यदि नही किया तो करें। जिससे अन्य लोग भी प्रेरित हो। शुभकामनाएँ
*डॉ सन्दीप अवस्थी, मो. 7737407061























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