*राज शर्मा*
कुढन जन अपना काम करेंगे ,
तू अपना काम करता चल,,,,,,
वो तंज कसेंगे हर वक्त,
तू अनदेखा करता चल,,,,,,
पुरावृत्त खोज से निकलेंगे मोती
बैठना जरुरी नहीं तुम्हारा बेशक
रख हवाओ का उल्टा हो,,
तो थोडा आराम फरमाता चल
धरोहर से भरोसा न हटे,
बस इतना ध्यान रखना,,,,,
दूषित विचार पास न भटके तेरे,
हर वक्त संभल के चल
पन्ने पन्ने को संजोए ,,,,,,
दिन रात संस्कृति की खोज राह मे
अधूरे सपनों को,
प्रत्यक्ष हकिकत मे परिवर्तित करता चल,,,,
*राज शर्मा आनी कुल्लू हिमाचल प्रदेश
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