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तुम मुझ में जिओ (कविता)






*राजीव डोगरा*


मैं जीता हूं तुम में
तुम जियो मुझ मैं
यही मेरी अभिव्यक्ति है।
यही मेरे जीवन का सार है,
मैं रहूं इस मिट्टी में या
उस अंबर की छोर में
मगर तुम जियो
मुझ में यूं
ज्यो जीती है मछली नीर में
यही मेरे जीवन का मूल तत्व है।
तुम मेरे अस्तित्व में रहो
मेरे अस्तित्वहीन
होने के बाद भी,
ज्यो मिट्टी मैं रहेगी राख
मेरे मर मिटने के बाद भी।


*राजीव डोगरा,ठाकुरद्वारा Rajivdogra1@gmail.com 9876777233 







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