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शब्दों से क्रिकेट (कविता)






*व्यग्र पाण्डे*


वो शब्दों से क्रिकेट खेलता है 


शॉर्ट तो कभी बाउंस फेंकता है  


जाने कितने आउट कर चुका है वो


एक तू है कि उससे क्रिकेट खेलता है 


वो बॉलर ही नहीं बैट्समैन भी है 


लाखों करोड़ों उसके फेन भी हैं 


जब चाहे तब छक्का चौका पेलता है 


वो शब्दों से क्रिकेट खेलता है 


किताबों में भरे पड़े रिकॉर्ड उसके 


करिश्में एक से एक हैं हार्ड उसके  


जुगनु होके सूरज की ओर देखता है 


वो शब्दों से क्रिकेट खेलता है 


तू देश नहीं प्रदेश की टीम में आया 


उसके खेल ने विश्व में सिक्का जमाया 


बिना बजन की बात क्यूँ ठेलता है 


वो शब्दों से क्रिकेट खेलता है ।


वर्षों लग जायेंगे उस तक आने में 


टिक पायेगा तू क्रिकेट के जमाने में 


ज्ञानहीन क्यूँ खीर में मूसल मेलता है 


वो शब्दों से क्रिकेट खेलता है । 


*व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी (राज.)







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