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महाअष्टमी पर 27 किलोमीटर तक बहेगी मदिरा की धार


जिले के कलेक्टर देवी मॉ और भैरव मूर्तियों को मदिरा का पान करवाते हैं




उज्जैन। देश में जहां कुछ राज्यों में शराबबंदी पर जोर दिया जा रहा है वहीं महाकाल की नगरी भगवान को मदिरा का भोग लगाने की तैयारी की जा रही है। मध्यप्रदेश के धार्मिक पर्यटन नगर और करीब पॉचवे बड़े शहर उज्जैन में शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर, विभिन्न देवी और भैरव मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाता है। इस पूजन को राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है।


जिले के कलेक्टर देवी मॉ और भैरव मूर्तियों को मदिरा का पान करवाते हैं, यह यात्रा जिस मार्ग से गुजरती है वहॉ मदिरा की धार गिराई जाती है। यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। मान्यता है कि, इस पूजन से अनिष्टों से नगर की रक्षा होती है और, भगवान सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पूजन चौबीस खंबा माता मंदिर से प्रारंभ होती है।जिसके तहत आताल पाताल भैरव, हांडी फोड़ भैरव समेत कई प्रमुख मंदिरों में मदिरा की धार लगाई जाती है। महाअष्टमी पर दोपहर के समय शक्तिपीठ श्री हरसिद्धि में पूजन होता है। नगर पूजन के यात्रा मार्ग में लगभग 40 मंदिरों में पूजन किया जाता है। यह यात्रा लगभग 27 किलोमीटर लंबी होती है।


प्रातः करीब 7 बजे प्रारंभ हुई यह यात्रा रात्रि 8 बजे हांडी फोड़ भैरव पर समाप्त होती है। यात्रा के दौरान एक व्यक्ति पवित्र ध्वज और मदिरा की हांडी लिए सबसे आगे चलता है। मार्ग में बड़-बांकल भी समर्पित किए जाते हैं, माना जाता है कि ये बड़-बांकल भैरव के साथ मौजूद रहने वाली, शक्तियों और अन्य अदृश्य शक्तियों के लिए समर्पित किए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि उज्जैन तंत्र साधना के लिए लोकप्रिय स्थल है। ऐसे में यहॉ इस पूजन का विशेष महत्व है।




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