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हमे बचा लो(कविता)




*संजय वर्मा "दृष्टि"*


धरती पर पड़ी पहली किरण 
ओस की बूंदो के आइने में 
अपना आकार देख कह रही -
ओस बहन तुम बड़ी भाग्यवान हो 
जो कि मुझसे पहले
धरती पर आ जाती हो
तुम्हे तो घास बिछोने 
और पत्तो के झूले मिल जाते है ।


मै हूँ की प्रकृति /जीवों को 
जगाने का प्रयत्न करती रहती हूँ
किंतु अब भय सताने लगा है 
फितरती इंसानो का 
जो पर्यावरण बिगाड़ने में लगे है 
और हमें भी बेटियों की तरह 
गर्भ में मारने लगे है
आओ हम तीनों मिलकर 
सूरज से गुहार करें 
हमे बचालो ।


*संजय वर्मा "दृष्टि"125 शहीद भगत सिंग मार्ग ,मनावर जिला -धार (म प्र )




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