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गांधी की नेतृत्व क्षमता सत्य और अहिंसा पर आधारित है


डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के छठे दिवस पर जनक मेहता  का व्याख्यान



उज्जैन। महात्मा गांधी के नेतृत्व में लाखों लोगों ने मिलकर अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष किया और देश को स्वतंत्रता दिलाई। महात्मा गांधी यह चमत्कार इसलिए कर पाए क्योंकि उनकी नेतृत्व क्षमता अद्भुत थी जो सत्य और अहिंसा पर आधारित थी। यह गांधीजी की नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम है कि उनके साथ मिलकर कार्य करने वाले लोग भी अपने आप में नेतृत्व करना सींख जाते थे। गांधीजी का नेतृत्व यह सीखाता है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आप जिस समूह का नेतृत्व कर रहे है उसमें लोगों के विचारों में मतभिन्नता होना निश्चित है किन्तु इसके बाद भी सारे मतों का रूख सिर्फ लक्ष्य की सफलता की दिशा में हो यह नेतृत्वकर्ता पर निर्भर करता है। उक्त विचार स्पेसर सेंटर इन्दौर के निदेशक एवं साहित्यकार श्री जनक मेहता ने भारतीय ज्ञानपीठ में आयोजित कवि कुलगुरू डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के छठे दिवस पर 'गांधीजी की नेतृत्व क्षमता' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये। श्री जनक मेहता ने कहा कि आजादी के आन्दोलनों में देशवासी महात्मा गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर गर्व का अनुभव करते थे। हम हमारा दुर्भाग्य है कि ऐसे महान व्यक्तित्व को हमने आदर्शो से ज्यादा फोटो के रूप में आत्मसात करना शुरू कर दिया है। गांधी के नाम पर इमारतें, मार्ग और संस्थाऐं तो बहुत है किन्तु हम गांधी के विचारों को और उनकी अद्भुत नेतृत्व क्षमता को भूलते जा रहे है। हम कल्पना ही कर सकते है कि जिस समय देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था उस समय देश के लाखों लोगों के मन में स्वाभिमान जागृत करते हुए उन्हें आन्दोलनों में सक्रिय करना अपने-आप में एक चमत्कार से कम नहीं है किन्तु यह गांधी की नेतृत्व क्षमता के कारण संभव हो सका।



अध्यक्षीय उद्बोधन में लातूर के वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्री अतुल देउलगांवकर ने 'वातावरण बदलाव की चुनौती' विषय पर कहा कि निश्चित रूप से हम पर्यावरण में बदलाव के एक भयंकर दौर से गुजर रहे है। आज हम इस स्थिति में है कि पृथ्वी का तापमान दो डिग्री अधिक ओर बढ़ जाता है तो हमारा जीवन विनाश के और करीब आ जायेगा। वास्तव में प्रदुषण करने वालों के साथ प्रदुषण सहने वाले भी उतने ही दोषी होते है। हम अमेजन के जंगलों की आग नहीं बुझा पा रहे है। साइबेरिया के जंगल भी बुरी तरह जल रहे है। इन सभी से लगभग दो सौ तीस करोड़ टन कार्बन डाई आक्साईड आसमान में चला गया है। यह हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। दुनिया की सबसे श्रेष्ठ ग्रीन नगरों की सूची में भारत का एक भी नगर नहीं है। दिल्ली की स्थिति यह है कि उसे सिटी ऑफ अस्थमा कहा जा रहा है। यदि सहीं हाल रहा तो जिस तरह पानी बोतलों में मिलता है उस तरह श्वास लेने के लिए ऑक्सीजन भी खरीदना पडे़गी।



स्वागत उद्बोधन संस्था अध्यक्ष श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने दिया। व्याख्यानमाला के आरंभ में संस्था की छात्राओं ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की। अतिथि स्वागत डॉ. पुष्पा चौरसिया, श्री सत्यनारायण सौनक, श्री रमेशचन्द्र चतुर्वेदी, श्री ऋषिकेश विभुतें एवं श्री सुधीर श्रीवास्तव ने किया।


इस अवसर पर वक्ताओं का शाल और श्रीफल से सम्मान वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री प्रेमनारायण नागर जी किया गया। संचालन विद्यालयीन शिक्षिका श्रीमती करूणा गर्गे ने किया।


अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला में दिनांक 2 अक्टूबर 2019 बुधवार के आयोजन
सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला का समापन दिनांक 2 अक्टूबर को सायं 4 से 7 बजे होगा, जिसके अन्तर्गत होने वाले आयोजन इस प्रकार है-
1.    भारतीय ज्ञानपीठ परिसर में पद्मभुषण डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' की प्रतिमा का अनावरण सांय 4 से होगा। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिव चौरसिया द्वारा डॉ. सुमन जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा की जायेगी। डॉ. सुमन जी की कविताओं की संगीतमयी प्रस्तुतियां भी दी जायेगी।
2.    अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला में जबलपुर के माननीय न्यायमूर्ति श्री जे.पी. गुप्ता 'धर्म एवं मानवतावाद पर गांधी के विचार' विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे एवं समारोह की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बालकृष्ण शर्मा द्वारा 'वैष्णवजन महात्मागांधी- डॉ. सुमन स्मृति' विषय पर अपना व्याख्यान देंगे।



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