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अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ. विनय पाठक का मुख्य वक्तव्य











बिलासपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, उ. प्र. हिन्दी संस्थान और वृंदावन शोध संस्थान के समन्वित तत्वावधान में वृंदावन मथुरा में आयोजित 'भारतीय साहित्य में कृष्ण '-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वान वक्ता और स्रोत पुरुष के रूप में विद्यमान डॉ. विनय कुमार पाठक ने अपने वक्तव्य में जहाँ कृष्ण के लोकपक्ष विशेषकर व्रज और छत्तीसगढ़ी लोकसाहित्य और शिष्ट साहित्य में उपस्थिति का उल्लेख किया, वहीं पंडित सुंदर लाल शर्मा की 'दानलीला' और कपिलनाथ कश्यप के 'श्रीकृष्ण महाकाव्य' में अवदान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बतौर श्री मद्भागवत व गीता के प्रख्यात मर्मज्ञ संजीव कृष्ण , अध्यक्षता डॉ. रामसनेही शर्मा 'यायावर' और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मुरली मनोहर पाठक गोरखपुर विश्वविद्यालय उपस्थित थे। संचालन डॉ. सतीश चतुर्वेदी खंडवा व आभार प्रदर्शन डॉ.प्रणव शास्त्री संयोजक ने किया। इस अवसर पर देश -विदेश के विद्वानो ने शोध पत्र प्रस्तुत किए उनमें डॉ. बृजेश सिंह (छत्तीसगढ़,) राधाकृष्ण पाठक (म. प्र.) डॉ. शारदा प्रसाद (झारखंड) महत्वपूर्ण रहे। 











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