Subscribe Us

अब गाँधी के वेष मे (व्यंग्य कविता)



 *कमलेश व्यास 'कमल'*


अब गांधी के वेश में मुष्टंण्डा होगा।


कमर में कट्टा और हाथ में डंडा होगा।


कई जगहों पर होंगे उसके गोरखधंधे।


चोरों का राजा तस्कर का पंडा होगा।


कहीं माथे पर तिलक लगाकर फिरता होगा।


गले में ताबीज या बाहों पर गंडा होगा।


कत्लेआम कराकर अब खुश होता है वो।


हाथ जोड़ना रहमदिली हथकंडा होगा।


जनता का हमदर्द दिखेगा सबको वो ही।


सुलझा दिखना और उलझाना फंडा होगा।


स्वार्थ भरी बातें होंगी  सब चिकनी-चुपड़ी।


सबको तैश दिलाकर भी वो ठंडा होगा।


पढ़े-लिखे विद्वान अमर हैं अपने बापू 


मार्कशीट में इसकी केवल अंडा होगा।


 *कमलेश व्यास 'कमल', कांकरिया परिसर,अंकपात मार्ग उज्जैन



शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ