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अकल्पनीय राजनीति (कविता)











*अजय कुमार द्विवेदी*


अदभुद अकल्पनीय राजनीति चलती है अपने भारत में।


अनाथ संक्रामक निरस सी लगती है जनता भारत में।


 


सरदार पटेल और शास्त्री जैसे नेता कहाँ अब मिलते हैं।


इतने सुन्दर पावन पुष्प कहाँ यहाँ अब खिलते हैं।


 


अनाहूत की असहिष्णुता मुझे अवर्णनीय लगती है।


अब भारत की राजनीति मे ऊहापोह बस चलती है।


 


गुरुत्वाकर्षण वाले कृतसंकल्प चंपू अब नहीं दिखते हैं।


तल्लीन तीर्थंकर धर्मनिष्ठा वाले नेता अब नहीं मिलते हैं।


 


अकर्मण्य लोमहर्षक जो विध्वंसक सब नेता हैं।


हुआ मरूस्थल सम्पूर्ण देश ये जहाँ मनस्वी जीता है।


 


*अजय कुमार द्विवेदी, दिल्ली मो8800677255












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