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यादों का बक्सा(कविता)







*कल्पना 'खूबसूरत ख़याल'*

चलो सहेज कर रख लेती हूँ

तुमको तुम्हीं से

लपेट लेती हूँ तुम्हारे होने के अहसास को

उन बारिश की बूंदों की तरह

और बाँध लेती हूँ तुम्हारा प्रेम मैं

अपने बालों में गजरे की तरह

 

चलो सहेज कर रख लेती हूँ

तुमको तुम्ही से

 

और सजा लेती हूँ वो काली बिंदी

जिन तमाम काली रातें में जागकर दुवाएँ माँगी थी 

तुम्हारे लिए

वो सारी कसमें और वो सारे वादे

अपनी साड़ी के पल्लू के उस कोने में

कसकर बाँध लेती हूँ

जिससे कभी भूल जाओ परदेस में मुझे

तो दिखा सकूँ मैं तुम्हें

वो यादों का बक्सा जो साँसों के तालों से जड़ा है।

 

चलो सहेज कर रख लेती हूँ

तुमको तुम्ही से

 

*कल्पना 'खूबसूरत ख़याल',पुरवा,उन्नाव (उत्तर प्रदेश)





 


 



 



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