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तर्पण धूप निवाले रखना(गजल)





 

*कमलेश व्यास 'कमल'*

 

तर्पण धूप निवाले रखना 

भावुकता पर ताले रखना। 

 

जीने में आसानी होगी 

कुछ साथी मतवाले रखना।

 

मुश्किल है अब इन ज़ख्मों से

आँसू बाले-बाले रखना।

 

"इसमें तेरी भी ग़लती है "

ऐसा कहने वाले रखना।

 

जितनी ख़ुशियाँ,घर में उतने 

छोटे-छोटे आले रखना।

 

बंद करो अब शहरी लोगों

माले ऊपर माले रखना।

 

लिखने में आसानी होगी 

घटनाओं को पाले रखना।

 

मत करना तुम बेघर इनको 

बूढ़े,बैठे-ठाले रखना।

 

दुख के कीट पतंगे मरते

मुस्कानो के जाले रखना।

 

आँखों की सुंदरता बढ़ती 

सुरमा यूँ हीं डाले रखना।

 

मरते दम तक मित्र 'कमल' तुम 

सपने भोले-भाले रखना।

 

*कमलेश व्यास 'कमल'उज्जैन 

 


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