*विजय सिंह चौहान
आज दीनू के पतरे पर कौवा, काव- काव चिल्ला रहा है, इस पर दीनू ने बाहर निकल कर देखा , की कौए की चोंच में खीर से लथपथ पूरी का एक कोर दबा है ।
दीनू , पक्षियों के लिए रोज ज्वार बाजरे का मिश्रण ओर सकोरे में पानी भरकर रखता है । कौवे और दीनू की नजरे मिलती है और कोआ, मुह से निवाला दीनू के आंगन में गिरा देता है,जहाँ दीनू अपने पितरों को घी-गुड़ की धूप दे रहा था।
आज सुबह से ही, दीनू को मलाल हो रहा था कि वह तंगी के चलते पितरो को खीर पूरी का भोग नही लगा पाया।
*विजय सिंह चौहान,इंदौर
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