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प्यारी बिटिया हिंदी (कविता)


-मच्छिंद्र भिसे


अपने वतन की जान है हिंदी,
हम सबका सम्मान है,
प्यारे बोल बोले हैं हिंदी,
हम सबकी पहचान है.


मिठास इसकी अमृत जैसी,
बहती पावन गंगा है,
पीकर धार माँ आँचल-सी,
बनता अपना जी चंगा है,
जहर मत घोलना इस अमृत में,
यह हमारी शान है,
प्यारे बोल....


सबका एक मेल है हिंदी,
न रखती दूजा भाव है,
जो भी हो सवार ले संग,
करती नैया पार है,
रखती सबसे इन्सानी नाता,
देश का यह गौरव गान है,
प्यारे बोल....


रंग-अंग हिंदी के कितने,
सबका बनी शृंगार है,
रंग न फीके पड़ेंगे इसके,
हम सब उसका हूँकार है,
नवेली दुल्हन पल-पल भाती,
चेहरे खिलाती मुस्कान है,
प्यारे बोल.....


प्यारी बिटिया हिंदी हमारी,
सवा-सवा बढ़ जाती है,
तोड़ के बंधन देश के अपने,
परदेस में गीत गाती है,
न इसकी अब कोई सीमा,
उसकी मुट्ठी में जहान है,
प्यारे बोल.....


चारों दिशाएँ गुँजाएँ हिंदी,
हम सबका यह काम है,
करते रहें हम इसकी सेवा,
अपने तन में चारों धाम है,
सिर न उसका झूकने देना,
इसमें सबका ही कल्याण है,
प्यारे बोल.....

-मच्छिंद्र भिसे
सातारा (महाराष्ट्र)
मो. ९७३०४९१९५२


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