म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

नशा यूँ बदनाम है(कविता)





*अभिषेक राज शर्मा*

नशा क्या है

हमे नही पता है,

कोशिश कर रहे है

लेकिन सब धता है,

 

नशा गमो का इलाज है

टूटते मन का आस है

बेहिसाब सा एक

लाइलाज इलाज है,

 

नशा प्रेरणा का नाम हैं

नशा एक अनकहे अजांम है

नशा गहरा समुंदर सा है

नशा खुला सा आसमान है,

 

नशा बहता पानी सा है

नशा बढ़ता जवानी सा है

नशे में हर कोई इंसान है

यू कहे नशा ही बदनाम है।।

 

*अभिषेक राज शर्मा,पिलकिछा जौनपुर (उ प्र) मो.8115130965


 

 



 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ