म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

कितना प्यारा देश हमारा हर मौसम के गीत 


-सुरजीत मान जलईया सिंह

 

कितना प्यारा देश हमारा

हर मौसम के गीत 

गुजर रहा है साल पुराना

आता है नवनीत

 

पर्यावरण बचाने का

मिलकर प्रयास करेंगे हम

बच्चो ये संकल्प हमारा 

दूषित नहीं करेंगे हम 

समझायेंगे अब हम सबको

घर घर जाकर नीत

कितना प्यारा देश हमारा

हर मौसम के गीत 

गुजर रहा है साल पुराना

आता है नवनीत

 

अब भी अब्दुल चाचा हमको

मेले में ले जाते हैं

गांव में हम सब मिलकर के

होली ईद मनाते हैं 

नहीं कोई मजहब का झगड़ा 

आपस में है प्रीत

कितना प्यारा देश हमारा

हर मौसम के गीत 

गुजर रहा है साल पुराना

आता है नवनीत

 

अब भी दादा हमें सुनाते 

हैं फागुन के फाग

रामकली काकी गाती है

नित जीवन का राग

सुबह सुबह लगता है प्यारा 

वो हमको संगीत

कितना प्यारा देश हमारा

हर मौसम के गीत 

गुजर रहा है साल पुराना

आता है नवनीत

 

-सुरजीत मान जलईया सिंह

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