-सविता दास
हाँ ! अब वो चालीस की है
जीने की नई फरमाइश सी है
उम्र के हर पायदान में
ज़िम्मेदारियां ढोती रही
सपनो को ,अरमानों को
अलमारी में तह करती रही
अब जाकर फुरसत मिली
खुद को सवाँरने की
अभी तो ज़िन्दगी की नई ख्वाहिश है
हाँ ! अब वो चालीस की है।
बात बात पर रूठ जाती
बात बात पर खुश हो जाती
कैसी दिखूंगी,क्या कहेंगे लोग
सोच सोच परेशान होती
बेबाक सी हो गई है आजकल
ज़ज़्बातों की नई आज़माइश है
हाँ ! अब वो चालीस की है।
उससे ज़्यादा उसकी उम्र
अब लोगो को याद रहती है
उसके चेहरे की महीन लकीरों पर
नज़र सबकी पड़ती है
क्या कहे की मेहनत से खुद को
तराशा है उसने
ये खूबसूरती अनोखी है
उसके आत्मविश्वास की कसौटी है
संघर्ष के गोद में पली वो परवरिश है
हाँ! अब वो चालीस की है।
जीवन साथी का सहारा हर पल ढूँढती
दो टूक आँसू बहाने को भी तरसती
अब बच्चें ही इतने बड़े है
की मानों दोस्त जैसे मिलती है
दुःख को कबका पीछे छोड़ आई
खुशियों की वह नई गुँजाइश है
हाँ! अब वो चालीस की है।
-सविता दास
लाचित चौक,सेंट्रल जेल के पास
डाक - तेज़पुर,जिला -शोणितपुर
असम 784001
मो. 9435631938
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