*सविता दास सवि*
ध्येय तेरा महान
पथ से विचलित
ना होना
यही बस जान
घेरेंगी बाधाएँ
करेँगे भ्रमित
पर तूने भी तो
ठानी थी
लक्ष्य को
हासिल करना
सतत चलना
और जीवन की यह
संकल्प यात्रा
कहाँ इतनी आसान
फिर संघर्ष कि तपिश से
तू भी तो नही अनजान
मार्ग ये तूने ही चुना
रुई की तरह
हर पल खुद को धुना
मत भूल कई उम्मीदें
तुझ पर टिकी
मत कर देना
आशाओं कि
रंगत फ़ीकी
सूर्य ,चन्द्र कि भाँति
हो अविरत तेरा भ्रमण
विपरीत पथ पर
कभी ना हो तेरा गमन।
*सविता दास सवि,तेजपुर ,असम
शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-
अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com
0 टिप्पणियाँ