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हिन्दी के बल पर यहाँ, रचे नया इतिहास(दोहे)


-संदीप सृजन


हिन्दी है सबसे सरल, भारत की पहचान ।


हिन्दी भाषा में बसा, भारत का सम्मान ।।


 


शब्द-शब्द में लोच है, अक्षर अक्षर गोल ।


हिन्दी जैसा है यहाँ, दुनिया का भूगोल ।।


 


अपनी भाषा बोलियाँ, कभी न जाना भूल ।


अपनी भाषा जब मिले, खिलते मन के फूल।।


 


भाषा का सच जानिए, यही ज्ञान का मूल ।


अपनी डाली छोड़कर, भटका है हर फूल।।


 


अपने श्रम औ' भाग्य पर, करे पूर्ण विश्वास।


हिन्दी के बल पर यहाँ, रचे नया इतिहास।।


 


हिन्दी भाषा प्रेम की, इसके मीठे बोल।


हर रिश्ते के साथ है, मिश्री अमृत घोल।।


 


हिन्दी में बातें करे, हिन्दी में व्यापार ।


हिन्दी मे कानून हो, हो भारत उद्धार।।


 


हिन्दी भाषा विश्व में, पहली सर्व महान।


अपनी भाषा को मिले, प्रथम मान सम्मान।।


 


पखवाड़े औ' दिवस से, ना होगा उत्थान ।


हिन्दी को अब चाहिए, माँ समान सम्मान।।


 


आओ मिलकर हम करें, हिन्दी का सम्मान ।


हिन्दी अपने देश की, आन बान औ' शान।।



-संदीप सृजन


ए-99 वी.डी. मार्केट, उज्जैन 456006


मो. 09406649733


ईमेल- shashwatsrijan111@gmail.com


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