म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

हिन्दी है सबसे प्यारी(गीत)








-सुरजीत मान जलईया सिंह

 

मनभावनी है न्यारी

जग की है ये दुलारी

अभिव्यक्ति के शिखर पर

हिन्दी है सबसे प्यारी।

 

हिन्दू की भी हिन्दी है

ईसाई की भी हिन्दी।

कश्मीर से है लेकर

मदुराई तक भी हिन्दी।

ये रूप विश्व में अब

अपना बना रही है

जैसे नदी निकलती

हर देश से है क्वारी। 

मनभावनी है न्यारी

जग की है ये दुलारी।

अभिव्यक्ति के शिखर पर

हिन्दी है सबसे प्यारी।

 

हिन्दोस्तां की हिन्दी

माथे की सबकी बिन्दी। 

छः माह का भी बच्चा 

माँ कहता करके चिन्दी।

इससे सरल सजीली

भाषा न कोई दूजी।

मावस की रात में भी

लगती बड़ी उजारी।

मनभावनी है न्यारी

जग की है ये दुलारी।

अभिव्यक्ति के शिखर पर

हिन्दी है सबसे प्यारी।

 

शिक्षा प्रणालीयों ने 

बदला स्वरूप इसका।

अंग्रेज़ीयत की महत्ता 

फिर इसका मान बिचका।

हिन्दी दिवस पे अब ये 

संकल्प तुम उठा लो

संसार के पटल पर

प्रथम हो ये शुमारी

मनभावनी है न्यारी

जग की है ये दुलारी

अभिव्यक्ति के शिखर पर

हिन्दी है सबसे प्यारी।

 

-सुरजीत मान जलईया सिंह


 

 



 



 




 



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