*माधुरी शुक्ला*
दोस्त है ,तो दोस्त
ही रहने दो,,
ना बनाओ मुझे कुछ
और ही ,,,
तस्वीर का क्या,
चाँद ना कहे ,हमे
सिर्फ दोस्त ही
बने रहने दे,,,,
पास बेशक आप आये
एक लखिर, कि दूरी
बनाकर,दोस्तों की तरह
ही पास आये,,,
जख्म जो हुआ मेरी
वजह से, मलहम हम
बना देंगे,मेरी यादों से
नही,दोस्तीसे निभाएंगे,,,
नाराज जो होते ,आप
भावनाये छिपी
हुई है,मेरी इसमें,
दोस्ती को कुछ
और नाम ना दे
दोस्त ही रहने दे,,,,
कुछ साँसे ,कुछ जज्बात
का क्या जनाब,
सारे अफसानेआपको दे दे
लेकिन एक दोस्त की
की तरह रहने दे,,,
इसे बेबसी समझे,
या मेरा मुकरना
करीब आई तो भी
सिर्फ और सिर्फ
दोस्त बनकर आई,
दोस्त ही रहने दे,,
रिश्ता नायाब है,
नसीब नही होती हर
किसी ,,चमक बाकी रहे
बस यही दुआ है,
एक दोस्त की तरह
बने रहे,,,,,
*माधुरी शुक्ला कोटा madhurisnm@gmail.com
शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-
अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com
0 टिप्पणियाँ