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धरती का चाँद(कविता)








 


  -संजय वर्मा 'दॄष्टि' 


दूधिया चाँद की रौशनी में 
तेरा चेहरा दमकता 

नथनी का मोती 

बिखेरता किरणे 

आँखों का काजल 

देता काली बदली का अहसास 

मानो होने वाली प्यार की  बरसात 

तुम्हारी कजरारी आँखों से 

काली बदली चाँद को ढँक देती 

दिल धड़कने लगता 

चेहरा छूप जाता  

चांदनी की परछाई 

उठाती चेहरे से घूँघट 

निहारते मेरे नैंन 

दो चाँदो को 

एक धरती एक आकाश में 

आकाश का चाँद 

हो जाता ओझल 

धरती का चाँद  हमेशा रहता खिला

क्योंकि धरती के चाँद को 

नहीं लगता कभी ग्रहण 

 

-संजय वर्मा 'दॄष्टि'

मनावर (धार ) 

9893070756 






 

 

 



 

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