*हमीद कानपुरी *
अश्क बहाकर आँख भिगोना।
छोड़ो अब ये रोना धोना।
हँसते रहना बाहर बाहर,
अन्दर अन्दर छुपकर रोना।
अश्क नहीं बाहर से दिखते,
भीग रहा पर दिल का कोना।
रहना जिसको जग में आगे,
सीखे कब वो अवसर खोना।
खून पसीना एक करे जो,
जीते जग में वो ही सोना।
*हमीद कानपुरी ,अब्दुल हमीद इदरीसी,179, मीरपुर, कैण्ट, कानपुर-208004 मो.9795772415
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