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अवाक(लघुकथा)


-अरविन्द शर्मा


आज मैडम के भाषण पर पूरा हॉल तालियों की गडगड़ाहट से गूँज उठा। बेटी विषय पर इतने सारगर्भित और मार्मिक भाषण ने श्रोताओं को इतना मंत्रमुग्ध कर दिया था कि वह अपने आँसू रोक नहीं पाए। हॉल में बैठी बेटियाँ यही सोच रही थीं कि, यदि सास मिले तो ऐसी मिले, वहीं बहूएँ ईश्वर से प्रार्थना कर रही थीं कि, काश हमारी सास भी मैडम की बात सुन और समझ पातीं क्योंकि लडकी पैदा होने पर बहूओं को मिलने वाले तानों की फेरहिस्त बड़ी लम्बी थी, लेकिन इन सब में सबसे अधिक खुश थी, प्रथम पंक्ति में बैठी मैडम की खुद की गर्भवती बहू। घर पहुँचते ही सास ने बहू को गले से लगा लिया और बड़े ही मनुहार कर बोलीं- 'बहू दो बार लक्ष्मी के दर्शन करा दिए तुमने, इस बार घर में तुम कुबेर ही लाना.. वर्ना!!!'... बहू अपनी सास के भाषण और उनऽकी इच्छा के मध्य अवाक् खड़ी थी।


*अरविन्द शर्मा,बीएम-49, नेहरू नगर,भोपाल (म.प्र.)मो.9669333020


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