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आवाज के अनमोल सितारे: हेमंत कुमार (26 सितंबर- पुण्यतिथि विशेष)


*कमलेश व्यास 'कमल*


"हरे मुरारे मधुकैटभारे


गोपाल गोविंद मुकुंद वंदे


प्रलय पयोधिजले धृतवानसि वेदम्


केशव धृतमीन शरीरजय जगदीश हरे।"



अनोखी आवाज़ के दो अनमोल सितारे "हेमंत कुमार" और "गीता दत्त" द्वारा  गाया फिल्म "आनंद मठ" का यह गीत अगर आप ने नहीं सुना है तो अवश्य सुनिए। और गर्व कीजिए कि हमारा फिल्मी संगीत उत्कृष्टता से कितना मालामाल है।अपनी पहली ही हिंदी फिल्म आनंद मठ में  जयदेव रचित "गीत गोविंद" और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित "वंदे मातरम" को संगीत बद्ध कर चमत्कृत कर देने वाले हेमंत कुमार मुखोपाध्याय बहुमुखी प्रतिभा के वह विलक्षण कलाकार थे, जिनका सानी मिलना असंभव नहीं तो बहुत मुश्किल जरूर है।


16 जून 1920 को बनारस में जन्मे हेमंत कुमार ने संगीत में रुझान अधिक होने से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। 1951 आनंदमठ से हिंदी फिल्मों की शुरुआत करने के बाद हेमंत कुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा 1954 में आई नागिन फिल्म की सफलता के बाद तो हेमंत कुमार पूर्ण रूप से हिन्दी  फिल्म दुनिया में प्रतिष्ठित हो गए। इसी फिल्म का लता मंगेशकर द्वारा गाया गीत "मन डोले मेरा तन डोले" ने तो सफलता के वो झंडे गाड़े जो आज भी कायम है। इसी फिल्म के लिए हेमंत कुमार को बेस्ट संगीत निर्देशन का "फिल्म फेयर पुरस्कार" भी प्रदान किया गया था 1952 में अभिनेता निर्देशक गुरुदत्त की देवानंद और गीताबाली अभिनीत फिल्म "जाल" में सचिन देव बर्मन के संगीत निर्देशन में गाए गीत "ये रात ये चांदनी फिर कहां,सुन जा दिल की दास्तां" और "प्यासा" फिल्म का गीत "जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला" द्वारा बतौर गायक हेमंत कुमार फिल्मी दुनिया में स्थापित हो गए।


गुरुदत्त ने हेमंत कुमार की प्रतिभा को पहचान कर बतौर संगीतकार उन्हें अपनी फिल्म "साहब बीवी और गुलाम" का संगीत निर्देशन का भार सौंपा, जिसकी बदौलत कई लाजवाब गीत संगीत रसिकों को सुनने को मिले- "न जाओ सैंया छुड़ा के बैयां" "साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी" "कोई दूर से आवाज दे चले आओ" या "भंवरा बड़ा नादान" इत्यादि। हेमंत कुमार उन प्रतिभाशाली कलाकारों में शुमार है जिन्हें बतौर गायक अपने समय के लगभग सभी बड़े  संगीतकारों ने गवाया उदाहरण के तौर पर फिल्म "हरिश्चंद्र तारामती" के लिए "जगत भर की रोशनी के लिए" (संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल) "छुपा लो दिल में यूं प्यार मेरा" (फिल्म 'ममता' संगीतकार रोशन) "आजा मेरे प्यार आजा" ( फिल्म "हीरालाल पन्नालाल" (1978 वाली) संगीतकार आर.डी. बर्मन) "जो दिया था तुमने एक दिन मुझे फिर वो प्यार दे दो" (संगीतकार ओ.पी नैयर "फिल्म संबंध") "नींद न मुझको आए" ("पोस्ट बॉक्स 999" संगीतकार कल्याणजी आनंदजी) "आ नील गगन तले प्यार हम करें" ("फिल्म बादशाह" संगीत शंकर जयकिशन) इत्यादि।


हेमंत कुमार ने बतौर संगीतकार भी  अपने समय के सभी गायक-गायिकाओं को गवाया और कई बेहतरीन गीत दिए हैं। उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में  "हेमंता बेला प्रोडक्शन" नाम से कदम रखा और मृणाल सेन के निर्देशन में एक बांग्ला फिल्म बनाई "नील आकाशेर नीचे" जिसे प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल मिला था। 1971 में हेमंत कुमार ने बांग्ला फिल्म "आनंदिता" का निर्देशन भी किया था, जो कि बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई। "गीतांजलि स्टूडियो" के बैनर तले भी  हेमंत कुमार ने कुछ यादगार फिल्में बनाईं जिनमें प्रमुख है "बीस साल बाद" व "कोहरा"। इन दोनों फिल्मों के लता मंगेशकर द्वारा गाए "हाॅन्टिंग इफेक्ट गीत"- "कहीं दीप जले कहीं दिल" और  "झूम झूम ढलती रात" के मुकाबिल कोई गीत नहीं ठहरता।
1969 मैं फिल्म "खामोशी" का बेमिसाल संगीत कोई भूल सकता है भला...! "तुम पुकार लो...आवाज,  "हेमंत कुमार"। "हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू" (लता मंगेशकर) और किशोर कुमार का गाया इसी फिल्म का गीत  "वो शाम कुछ अजीब थी" ऐसे गीत हैं जो अमर हैं।


संगीतकार "सलिल चौधरी" ने तो एक बार यहां तक कह दिया था कि- 'अगर भगवान भी कभी गाए तो वह हेमंत कुमार की ही आवाज होगी।'  साक्षात सरस्वती स्वरूपा लता मंगेशकर ने भी कहा है कि- 'हेमंत दा जब गाते थे तो ऐसा लगता था कि कोई पुजारी मंदिर में बैठकर गा रहा है।'


26 सितंबर 1989 में दुनिया को अलविदा कहने से पहले हेमंत कुमार अपने कृतित्व से वह बेमिसाल धरोहर छोड़कर गए हैं कि जिसे ताक़यामत दुनिया भूल नहीं सकती। आश्चर्य होता है कि ऐसे बेमिसाल फनकार को अब तक "दादासाहब फालके अवार्ड" से क्यों नहीं नवाजा गया ??


*कमलेश व्यास 'कमल',20/7 कांकरिया परिसर, अंकपात मार्ग,उज्जैन 456006,मो. 8770948951


 


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