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राजकुमार प्रजापति की कथा कृति कालेरा वास की बातें का लोकार्पण


कोटा। रेलवे आई ए आर एस अधिकारी प्रजापति का भव्य लोकार्पण डी आर एम सभागार कोटा में समारोह अध्यक्ष मनीष तिवारी,आर के सिंह, सभापति रघुराज सिंह कर्मयोगी, मुख्य अतिथि जितेन्द्र निर्मोही, विशिष्ट अतिथि डॉ प्रभात सिंघल वक्ता डॉ आदित्य गुप्ता,भगवत सिंह मयंक की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

कालेरा वास की बातें पर अपनी बात रखते हुए डॉ आदित्य गुप्ता ने कहा कि इस संग्रह की समस्त कहानियां पठनीय है।लेखक की भाषा सहज है एवं शिल्प अनूठा है। संकलन की 22कहानियां संस्मरण, रेखाचित्र, यात्रा वृत्तांत को समेटे हुए हैं। इसमें नारी विमर्श,बाल्य विमर्श और वृद्ध विमर्श का अधिक समावेश है। भगवत सिंह मयंक ने कहा कि ग्राम्य परिवेश में लिखी गई यह कहानियां संवेदना से भरपूर है। ये समस्त कहानियां लेखक की ग्राम्य संस्कृति को रुपायित करती है। विशिष्ट अतिथि डॉ प्रभात सिंघल ने कहा कि ऐसा लगता है कि लेखक ने जैसे लिखी गई कहानियों को जैसे जिया है।इन कहानियों में जीवन दर्शन और जीवन मूल्य भरपूर दिखाई देता है।

मुख्य अतिथि जितेन्द्र निर्मोही ने कहा हर एक लेखक का अपना नजरिया होता है उसी को लेकर वो सृजन करता है। स्थापित कथाकार समाज को अपनी भाषा देता है और वह कथा नायक देता है जैसे प्रेमचंद ने होरी और हमीद दीए गुलेरी जी ने लहना सिंह और मैंने रामजस को दिया है। इससे कथाकार की अलग पहचान बनती है।लेखक ने जो जिया है वह लिखा है । इस तरह की कृति लेखक की उसकी राजस्थानी भाषा में भी आनी चाहिए।

लेखक राजकुमार प्रजापति ने कहा आज के समाज में गिरते मानव मूल्य और राष्ट्रीय स्वर को देखते हुए मैंने यह कृति लिखी है। मेरे हीरो सीधे साधे ग्रामीण हैं जो आज समाज में विशिष्ट स्थान रखते हैं। आज़ आदर्शवादी साहित्य का अभाव है यह सोचकर मैंने यह कृति लिखी।है। मनीष तिवारी समारोह अध्यक्ष ने लेखकीय परंपरा और उसकी आवश्यकता पर प्रभाव डाला। उन्होंने कहा हिन्दी पखवाड़ा मनाया जा रहा है। मेरे कार्यालय के अधिक से अधिक लोग हिन्दी मे सृजन करें।

लेखक का कोटा महानगर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मान किया गया। आयोजन में शहर के जाने-माने साहित्यकार, पत्रकार, रेलवे संगठनों से जुड़े लोग और कर्मचारी उपस्थित थे। सभापति रघुराज सिंह कर्मयोगी ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन अरविंद शर्मा एवं कमलेश चौधरी कमल ने किया।

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