कोटा। समर्थ साहित्यकार एवं शिक्षा विद राष्ट्र को समृद्ध करते हैं। उनके विचार नई पीढ़ी को दिशा देते हैं और ईमानदारी से जीवन जीने के संदेश देते है।यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही ने शिक्षा विद एवं साहित्य पुरोधा स्व शिव प्रसाद शर्मा स्मृति शताब्दी समारोह में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा इस मूल्यहीन समय में ऐसे आयोजन किये जाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य पुरोधा रामस्वरूप मूंदड़ा को रंगितिका संस्था कोटा ने जो दिवंगत कवि की स्मृति में सम्मान पुरस्कार दिया है वो पुरस्कार अकादमी उदयपुर के पुरस्कार से कम नहीं , उनकी योग्यता को देखते हुए यह सम्मान राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर को देना चाहिए था।इस समारोह के मुख्य अतिथि अनुराग भटनागर उप वन संरक्षक वन्यजीव कोटा थे। विशिष्ट अतिथि भगवती प्रसाद गौतम, डॉ दीपक श्रीवास्तव, डॉ मनीषा शर्मा थी और मुख्य वक्ता विजय जोशी संचालन डॉ वैदेही गौतम ने किया।
समारोह का प्रारंभ सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन से हुआ। सरस्वती वंदना वंदना शर्मा ने की अपने स्वागत भाषण में आयोजक स्नेहलता शर्मा ने कहा कि मुझे खुशी कि यहां देश के प्रख्यात साहित्यकार और शिक्षा विद बैठे हुए हैं। मेरे श्वसुर शिव प्रसाद शर्मा जी पुष्पकांत दलाल और तेज करण डंडियां जैसे शिक्षाविदों के साथ रहे हैं। उनके स्मृति के शताब्दी समारोह और हर साल दिए जाने वाले पुरस्कार के लिए आपका और समाज का मार्गदर्शन चाहिए।हमारा परिवार यह आयोजन प्रति वर्ष कराने के लिए कृत संकल्प है।
समारोह पर बीज वक्तव्य देते हुए मुख्य वक्ता विजय जोशी ने कहा कि शिव प्रसाद शर्मा जी का काव्य प्रकृति सौंदर्य और समाज का दिशा बोधक है। उनके कविता संग्रह " आस्था के दीप"में काव्य के विविध स्वर देखे जा सकते हैं।वो दुमदार दोहे का भी सृजन करते थे। उन्होंने कहा कि सम्मानित कवि रामस्वरूप मूंदड़ा की पुरस्कृत कृति " कविताओं का इंद्रधनुष " कविताओं के वैविध्य की मंजूषा है ।उनका समकालीन काव्य भी किसी से कम नहीं इस अवसर पर उन्होंने कवि की " अंधेरा" कविता का पाठ किया। विशिष्ट अतिथि भगवती प्रसाद गौतम ने कहा कि शिक्षा विद शिव प्रसाद शर्मा कला, साहित्य और संगीत की त्रिवेणी थे।वो बेहतर हारमोनियम वादक और तबला वादक भी थे महफिलों में जब वो मस्त होकर कविता गाते तो लोग झूम उठते। आज़ के इस शताब्दी समारोह की उपादेयता यह है कि तपती गर्मी में सभा में बैठे विद्वान और विदुषी बहिनें मंत्रमुग्ध हो कर श्रवण कर रहे हैं।
डॉ दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि यह सम्मान रामस्वरूप मूंदड़ा जैसे वरिष्ठ साहित्यकार को दिया जाना सदन को गौरवान्वित करता है।आजका समारोह सार्थक भी है और प्रेरक भी है। डॉ मनीषा शर्मा ने कहा शिवप्रसाद शर्मा स्मृति काव्य रत्न सम्मान की पूरी प्रक्रिया अकादमी स्तर की रही है। मुझे सुखद महसूस हुआ कि इसमें १९ कृतियों की प्रविष्टियां प्राप्त हुई जिनमें ९-१०कृतियां राष्ट्रीय स्तर की थी। इससे कोटा के साहित्यकारों का स्तर और रंगितिका संस्था की प्रतिबद्धता का पता चलता है। मंच का सम्मान परिजनों द्वारा और जिन लेखक लेखिकाओं की प्रविष्टियां प्राप्त हुई उनका सम्मान रंगितिका अध्यक्ष रीटा गुप्ता और सचिव महेश पंचौली द्वारा किया गया ।
सम्मान पाने वालों हेमराज सिंह हेम, शमा फिरोज, बद्रीलाल दिव्य, पल्लवी न्याती, मंजू रश्मि आदि थे। समारोह में सम्मानित साहित्यकार रामस्वरूप मूंदड़ा और स्नेहलता शर्मा की पुत्री ने काव्य पाठ किया।इस समारोह पत्रकार, साहित्यकार, संगीतज्ञ, इतिहासकार आदि उपस्थित थे। उनमें प्रमुख फिरोज खान, विजय शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर, विजय महेश्वरी, प्रार्थना भारती, अनुराधा शर्मा, श्यामा शर्मा, पियुष शर्मा, डॉ इन्दु बाला गौतम आदि मौजूद थे।
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