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मध्यप्रदेश लेखक संघ की प्रादेशिक गोष्ठी में बिखरे हास्य व्यंग्य के रंग


भोपाल । "भारत के लोक जीवन में हास्य-व्यंग्य सहज रूप से समाहित है। लोकभाषाओं के शब्द, ध्वनि और लहजा स्वाभाविक रूप से व्यंग्य पैदा करते हैं । हमारे लोक के मनुष्य के पास ग़ज़ब का सेंस ऑफ ह्यूमर है।" ये विचार निराला सृजन पीठ की निदेशक डाॅ. साधना बलवटे ने मध्यप्रदेश लेखक संघ की प्रादेशिक हास्य व्यंग्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये । आपने अपनी व्यंग्य रचना 'आत्माओं का बूस्टर डोज़' का पाठ भी किया । गोष्ठी के सारस्वत अतिथि कुमार सुरेश ने कहा कि सफल व्यंग्यकार वह है जो किसी विसंगति पर इस प्रकार चोट करे कि सामने वाले को अपमान होता न लगे और क्रोध भी न आए लेकिन वह खिसयानी हँसी हँसने पर मजबूर हो जाए । आपने अपने व्यंग्य आलेख 'नदी किनारे क्षण भर मुर्गा ' का वाचन किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. राम वल्लभ आचार्य ने हास्य और व्यंग्य का सूक्ष्म अंतर बताया । आपने कहा कि अटपटी चेष्टाएँ और उक्तियाँ हास्य की जननी होती हैं जबकि किसी विद्रूपता आदि की वक्रोक्ति द्वारा अभिव्यक्ति व्यंग्य की कारक ।

गोष्ठी में डा. राम वल्लभ आचार्य ने "पाँच वर्षों में ही, सुधि तो आई इन्हें,इनका फिर पंचवर्षीकरण कीजिये ।" कुमार सुरेश ने "ऊँचाई के साथ दूसरों को नुकसान पहुँचाने की ताकत भी होना चाहिये तभी लोग सफलता को स्वीकार करते हैं।" राकेश वर्मा 'हैरत' ने "भर पिचकारी टैक्स की मारी, उधड़ गयी जनता बेचारी, मंहगाई भरमार, जनता के संग होली खेलत सरकार ।" अशोक व्यास ने "प्रेम सप्ताह और वसंत ऋतु का कोई मुकाबला नहीं है, प्रेम सप्ताह यानी फटाफट क्रिकेट ट्वंटी ट्वंटी वाला मामला है और वसंत ऋतु लगभग टेस्ट मैच की पूरी सीरीज खेलने जैसा है ।" सुधा दुबे ने "हमारी मित्र नख से शिख तक आभूषण से लदी बैठी थी। हमने पूछा "कैसी कट रही है"? वह काजू किशमिश की एक मुट्ठी मुख में भरते हुए बोली - "बस गुजर रही है"। अगर इसकी कट रही है तो हे ईश्वर हम सब की उम्र भी इसी प्रकार से कट जाए।" सुनील चतुर्वेदी ने "जब - जब चुनाव आए और नेता फड़फड़ाए वोटर, इन्हें याद आए ।" डाॅ. जयमाला मिश्रा ने "दिल्ली रंग रँगीली चूनर हो गयी काली, घोटलों के रंग चूनर हो गयी काली ।" सुरेश पबरा ने "जीवन की संध्या घिर आई फिर भी आशिक हैं । चेहरे पर मुर्दानी छाई फिर भी आशिक हैं ।" राजेन्द्र गट्टानी ने "करेले से लौकी ठिठोली में बोली, तुम्हें तो मिलेगी तभी इनकी झोली । जो आओगे कड़वाहटें छोड़कर ।" कविताओं का पाठ किया। साथ ही गोष्ठी में सुनील गाइड, नरेन्द्र नवगोत्री, ओम प्रकाश भार्गव, के साथ ही मलय जैन ने भी रचना पाठ किया ।

प्रारंभ में संघ के प्रादेशिक उपाध्यक्ष ऋषि श्रंगारी ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रभु दयाल मिश्र ने आभार प्रदर्शन किया । संचालन प्रादेशिक मंत्री राजेन्द्र गट्टानी एवं प्रादेशिक संयुक्त मंत्री डाॅ. प्रीति प्रवीण खरे ने किया । कार्यक्रम में श्री अशोक कुमार धमेनियाँ ने अपने पिता श्री जैतराम धमेनियाँ की स्मृति में नवीन सम्मान स्थापित करने हेतु धनराशि का चेक संस्था के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. राम वल्लभ आचार्य को सौंपा ।

इस अवसर पर को अभिनव कला परिषद के अध्यक्ष पं. सुरेश तांतेड़ ने वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती कान्ति शुक्ला को शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर "अभिनव शब्द शिल्पी" अलंकरण से विभूषित किया ।

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