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डॉ. सिंघल लिखेंगे "हाड़ोती में महिलाओं का साहित्यिक अवदान" पर पुस्तक


कोटा। हाड़ोती में शिक्षा, संस्कृति और साहित्य की 99 प्रतिभाओं पर आई पुस्तक " जियो तो ऐसे जियो" की लोकप्रियता को देखते हुए लेखक और पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ.प्रभात कुमार सिंघल अब साहित्य के क्षेत्र में "हाड़ोती में महिलाओं का साहित्यिक अवदान" पुस्तक लिखेंगे। इसके लिए वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र कुमार शर्मा 'निर्मोही ' ने उन्हें प्रेरित किया है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में महिलाएं सभी क्षेत्रों में आधी दुनिया का डंका बजा रही हैं। साहित्य के क्षेत्र में भी पूरे देश में महिलाओं की कीर्ति पताका फहरा रही है। हिंदी, राजस्थानी, उर्दू, बंगाली, असमिया, भोजपुरी आदि कोई भी भाषा हो साहित्य में महिलाओं का परचम लहरा रहा है। राजस्थान के हाड़ोती क्षेत्र में भी महिलाएं साहित्य की गद्य - पद्य दोनों विधाओं में खूब लिख रही हैं। कविताएं, दोहे, छंद, गज़ल, कथाएं, उपन्यास आदि किसी भी विधा के लेखन में वे किसी से पीछे नहीं हैं। साहित्य के कई बड़े पुरस्कार महिलाओं की झोली में गए हैं। साहित्य में उनका सम्मान बढ़ा है।

डॉ. सिंघल ने बताया कि हाड़ोती अंचल ने देश को अनेक महिला साहित्यिक प्रतिभाएं दी हैं। जिन्होंने अपने साहित्य सृजन से स्वयं को तो स्थापित किया ही साथ ही अपने साहित्यिक अवदान से अंचल के साहित्य को समृद्ध बनाया। प्रेमलता जैन , (स्व) कमला कमलेश, एकता शबनम , (स्व)कमला शबनम, झालावाड़, बीना दीप , ऋतु जोशी, कुसुम जोशी (अब मुंबई) , (स्व) शकुंतला रेणु ,सुश्री पूर्णिमा शर्मा, पूर्णिमा श्रीवास्तव, चंदा पाराशर, ज़ेबा फिजा , वीणा अग्रवाल , (स्व) सावित्री व्यास, (स्व) प्रेम जैन , विनीता निर्झर , क्षमा चतुर्वेदी , प्रवेश सोनी , आशा सोनी, प्रतिमा पुलक , (स्व) सरला अग्रवाल , प्रमिला आर्य, ऊषा शर्मा , श्यामा शर्मा, रेखा पंचोली, गीता सक्सेना, प्रज्ञा गौतम, शमा फिरोज़, सुशीला जोशी, मनीषा शर्मा, अनिता वर्मा, पुरवा अग्रवाल, रश्मि प्रदीप, शिखा अग्रवाल ( वर्तमान में भीलवाड़ा), स्नेह लता शर्मा, अपर्णा पांडेय, मेघना मेहरा, वैदेही गौतम, मंजू किशोर रश्मि , ममता महक , सुनीता शर्मा (मूलतः बारां की हैं, अब शिवपुरी जिले में रहती हैं) आदि अन्य कई महिलाओं ने हाड़ोती अंचल को अपनी साहित्यिक सुरभि से सुवासित किया है। बाल साहित्य, कविताएं, कथाएं, उपन्यास आदि साहित्य की कोई विधा अछूती नहीं है जिस पर इनकी कलम नहीं चल रही हो।

इनके लेखन के केंद्र में मनोरंजन के साथ - साथ प्रकृति सौंदर्य, सामाजिक कुरीतियों और विभिन्न सामाजिक समस्याओं,साम्यिकता और कई प्रकार के प्रेरक प्रसंग साफ दिखाई देते हैं। मूल रूप से इनका साहित्य इनके मन में उपजी विचारधारा का ही प्रतिनिधित्व करता है। लेखिकाएं अपनी रचनाओं और सृजन को पुस्तकों का रूप प्रदान करने में भी पीछे नहीं हैं। कई पुस्तकों पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त करना और देश की साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में अंचल की लेखिकाओं को जबरदस्त स्थान मिलना इनकी सफलता की कहानी स्वयं कहता है। महिलाओं की कई संस्थाएं हैं जो समय - समय पर विभिन्न गतिविधियों के आयोजन से साहित्य संवर्धन के क्षेत्र में अच्छा काम कर रही हैं। कुछ महिलाएं अपने फेसबुक पेज बना कर लेखिकाओं को प्रोत्साहन दे रही हैं। वे अनेक प्रकार के नए प्रयोग कर साहित्य क्षेत्र को रोचक बनाने और नया दृष्टिकोण विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान कर रही हैं।

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