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हृदयेश मयंक एवं ताऊ शेखावाटी को पं. मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान


मुम्बई। पं. मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य संस्थान, मुंबई द्वारा संचालित, पं. मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान स्व. मधुकर गौड़ जी के हिंदी और राजस्थानी साहित्य की सेवा में समर्पित जीवन की स्मृति को बनाये रखने की दिशा में एक प्रयास है।

यह वार्षिक सम्मान हिंदी और राजस्थानी भाषाओं में दिया जाता है। इस सम्मान के अंतर्गत सम्मानित साहित्यकारों को इक्कीस हजार रूपए, शाल, श्रीफल और संस्थान का प्रतिक चिन्ह दिया जाता है। इस वर्ष का हिंदी भाषा का सम्मान श्री हृदयेश मयंक, मुंबई और राजस्थानी भाषा का सम्मान श्री ताऊ शेखावाटी को दो अलग अलग आयोजनों में दिया गया।

पंडित मधुकर गौड़ की कर्म भूमि मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में श्री हृदयेश मयंक का सम्मान किया गया। हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में श्री हृदयेश मयंक की दर्जन भर से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं, हिंदी साहित्य जगत में उनका योगदान सराहनीय है। समारोह की अध्यक्षता नवभारत टाइम्स, मुंबई के भूतपूर्व संपादक श्री विश्वनाथ सचदेव ने की, सम्माननीय अतिथि के रूप में दैनिक भास्कर, मुंबई के कार्यकारी संपादक श्री भुवेन्द्र त्यागी तथा प्रमुख अतिथि के रूप में साहित्य अनुरागी श्री कन्हैयालाल सराफ उपस्थित थे। श्री सचदेव ने कहा कि जिस तरह पं. मधुकर गौड़ ने गीत साहित्य को आगे बढ़ाने की जिद में आजीवन संघर्ष किया, उसी तरह श्री हृदयेश मयंक ने हिंदी गीत, ग़ज़ल और कविता को नयी दिशा और नया आयाम देने का उल्लेखनीय प्रयास किया है। श्री सचदेव ने आगे कहा कि पं. मधुकर गौड़ ने न सिर्फ गीत को जिया, बल्कि एक ऐसे समय में गीत की अस्मिता, उसके सम्मान को बरकरार रखने के लिए पूरे समर्पण भाव से कार्य किया, जब एक ओर मुक्तछंद कविता ने साहित्य की कमान अपने हाथ में ले ली थी तो दूसरी ओर मंच पर सस्ती चुटकुलेबाजी ने कब्जा कर लिया था। इसी के समानांतर हृदयेश मयंक भी मुंबई में रहकर पिछले 40 साल से गीत और कविता के सृजन कार्य को बड़े मनोयोग से करते रहे हैं।

पंडित मधुकर गौड़ की जन्म स्थली चूरू राजस्थान में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में श्री ताऊ शेखावाटी का सम्मान किया गया। हिन्दी-अवधी-संस्कृत और विशेषकर राजस्थानी- भाषा और विभिन्न विधाओं में पं ताऊ शेखावाटी की लगभग दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा कवि सम्मेलनों के संचालन एवं संयोजनों में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्य अकादमी, उदयपुर के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि मधुकर गौड़ का मातृभूमि चूरू एवं कर्मभूमि मुम्बई के प्रति जो प्रेम था वह अनुकरणीय है। इसलिए उनके परिजन दोनों ही जगह साहित्यकार-सम्मान का आयोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि गौड़ जीवट वाले गीतकार थे, जो जीवन के अंतिम क्षणों तक साहित्य सर्जन में लगे रहे। विशिष्ट अतिथि डॉ. रामकुमार घोटड़ ने कहा कि सम्मान के चयन में साहित्यकार के कृतित्व को ही केन्द्र में रखा जाता है। उन्होंने राजस्थानी भाषा के प्रति मधुकर गौड़ के प्रेम और योगदान का उल्लेख किया। स्वागत भाषण में राजेन्द्र शर्मा मुसाफिर ने संस्थान द्वारा की गई गतिविधियों की जानकारी दी।

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