Subscribe Us

न दोस्तों को भूलें (कविता) -डॉ रमेशचन्द्र


न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े
अनमोल दोस्ती के
रिश्ते को नहीं तोड़े।

दोस्तों से मिलती है
जीवन में ताज़गी
हंसने -हंसाने और
खुशी की जिंंद़गी
सच्चे दोस्तों से
मुंह कभी न मोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

दोस्त ही सीखाते हैं
अच्छा है क्या बुरा ?
दोस्तों के बिना तो
है हर गीत बेसुरा !
दोस्तों को छोड़
धन के लिए न दौड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

जिसके हैं सच्चे दोस्त
सबसे बड़ा धनवान
दोस्त के रूप में वह
होता है भगवान
खुशी के मौके पर
उसके कान भी मरोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

दोस्त तो होते हैं
सुख दुख के साथी
रिश्ता उनका होता
दीपक के संग बाती
दोस्ती में दोस्ती का
ही रिश्ता जोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

नादान की दोस्ती
होती जी का जंज़ाल
कर देती है वो
दोस्त को कंगाल
ऐसे दोस्त से
तुरंत रिश्ता तोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

दोस्त दूर करते हैं
उम्र का फ़ासला
हंसते और हंसाते हैं
देते हैं हौंसला
ठहाके के दौड़ाते
रहते हैं सदा घोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

दोस्तों से अच्छी
कोई दवा नहीं है
उसकी दुआ से बढ़ी
कोई दुआ नहीं है
उम्र को रखें ताक
अपनी मूंछों को मरोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

दोस्तों से रहता है
हरा भरा संसार
खुशमिजाजी का
उनके पास है श्रृंगार
कर्म पथ पर चलें
और भाग्य को छोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

जिंद़गी को करदें
दोस्तों के नाम
दुख दर्द जिंद़गी के
भूल जाएंगें त़माम
मौज़मस्ती करें
खाएं गर्म पकोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

यह उम्र है बची
खुश रहने के लिए
दोस्तों से हंसी मज़ाक
करते रहने के लिए
रखें याद सभी
रस जीवन का निचोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

जीवन में याद आते
बिछड़े हुए वो साथी
याद जिनकी ह़रद़म
रहती है सताती
पड़ते हैं जिंद़गी में
समय के कठोर कोड़े
न दोस्तों को भूलें
न दोस्तों को छोड़े।

-डॉ रमेशचन्द्र, इंदौर


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ