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रोशनी की ऋचाएं (हाइकु) -अशोक आनन


दीयों के बिना -
घर सूना लगता ।
दीये जलाएं ।
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प्यार के दीये -
हृदय में जलाए ।
तुम्हारे लिए ।
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हृदय नहीं -
हम दीये जलाएं ।
दीप - पर्व है ।
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जुगनुओं को -
लील गया अंधेरा ।
दीये बचाएं ।
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जले मन में -
सौदागर तम के ।
देख दीवाली ।
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जुगनुओं से
जगमगा रही है -
होरी की झुग्गी ।
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दीया समझ
लड़ते रहे हम -
अंधियारे से ।
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दीयों से सीखा-
फैलाकर उजाला
तम में जीना ।
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घर का दीया -
फैलाकर उजाला ।
तम में जीया ।
*****
दीयों ने लिखीं -
रोशनी की ऋचाएं
द्वार - देहरी ।
*****
लिखेगा कौन -
बातियों की वेदना.....?
दीये हैं मौन ।
*****
दीयों से मिली -
रोशनी की सौगात ।
भाग्य की बात ।
*****
दीयों ने कहा -
इतना ही था साथ ।
बातियां रो दीं ।

-अशोक आनन ,मक्सी

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