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साहित्य मधुशाला (मैसूर) की मासिक काव्य गोष्ठी के बरसे अध्यात्म एवं प्रेम रस के रंग


मैसूर। शहर की जानी मानी संस्था साहित्य मधुशाला द्वारा 14 अक्टूबर को ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ।जिसमें देश विदेश के रचनाकारों ने अपनी रचना से मंच को महका दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बैंगलुरु के जाने माने साहित्यकार जैन राजेंद्र गुलेच्छा ने दीप प्रज्वलन व श्रुत की देवी सरस्वती वंदना के साथ की।

गोष्ठी में कोलकाता से जुड़ी कवयित्री संगीता चौधरी ने पितृपक्ष में झूठी संवेदना की अभिव्यक्ति 'क्यों ये तर्पण' अपनी रचना के माध्यम से कार्यक्रम का भावनात्मक आग़ाज़ किया। सरिया की कवयित्री डिम्पल ने अपनी रचना 'प्यार एक झील के समान है' रचना द्वारा दाम्पत्य प्रेम को अभिव्यक्त किया।

बिलासपुर की कवियित्री शीतल लाठ ने 'चाहत होती हर मानव की' रचना की प्रस्तुति दी।काठमाण्डू नेपाल के वरिष्ठ कवि जयप्रकाश अग्रवाल ने अपनी सुन्दर नज़्म …मुस्कुराहट से मुहब्बत करने से है गुरेज नहीं' प्रस्तुत की। विराटनगर नेपाल से शामिल हुये कवि सुरेश अग्रवाल ने 'जोरू का ग़ुलाम' रचना की प्रस्तुति दी। भिलाई से जुड़े कवि हरिप्रकाश गुप्ता ने 'इतने अभी तक नाराज़ क्यों' रचना की प्रस्तुति दी।

युवा कवि ब्रजेंद्र मिश्र ने 'बिगड़े- बिगड़े से है हालत' एवं दुर्गा माता के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत करती हुई आद्यात्मिक रचना प्रस्तुत की। जमशेद पुर के मशहूर कवि बसंत जमशेदपूरी ने गजल 'सोना तप गहना बन जाता' सुना सबका मन मोह लिया।। 

बैंगलोर के जाने माने कवि व कार्यक्रम के अध्यक्ष जैन राजेंद्र गुलेच्छा राज ने दिवाली पर अपनी रचना 'मन जायेगी दीवाली' की सुंदर प्रस्तुति दी।संस्था कि अध्यक्ष एवं संचालिका उषा केडिया ने 'किसी राह पर निकलते हम रोज़ है' रचना की प्रस्तुति दी।अंत में टाटानगर के कवि प्रमोद खीरवाल ने 'सपने जगाये उमंगें जगाये' रचना की प्रस्तुति दी। उसके बाद प्रस्तुतियों पर कार्यक्रम के अध्यक्ष राजेंद्र गुलेच्छा ने सभी रचनाओं की बहुत ही सुंदर समीक्षाएं की। कार्यक्रम का सुंदर संचालन संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती उषा जैन केडिया ने किया।अंत में संगीता चौधरी कोलकाता द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात गोष्ठी का विधिवत समापन हुआ।

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