Subscribe Us

असम में शरद पूर्णिमा के दिन होती है लक्खी पूजा


असम में दुर्गापूजा के पाँच दिन बाद यानि शरद पूर्णिमा
के शुभदिन पर श्रद्धापूर्वक लक्खी पूजा मनाई जाती है ।
घर घर में शाम के समय सपरिवार के सदस्यों द्वारा लक्खी पूजा की जाती है । यह पूजा करने के पूर्व हर घर में लिपाई, पुताई, सफाई होती है फिर प्रत्येक घर परिवार के सभी सदस्य गोधूलि की बेला यानि संध्या के समय परम्परागत लक्खी पूजा को श्रद्धापूर्वक भक्तिभाव से पालन करते है । 

पूजा आराधना में धूप दीप अगरबत्तियां जलाकर देवी लक्खी के आगमन के स्वागत में इंतजार करते है । इस अवसर पर घर आंगन की चहारदीवारी में रंगोली भी बनाते है । घर परिवार के सदस्य मां की श्रद्धाभक्ति से पूजा अर्चना करके घर परिवार की हर मनोकामना पूर्ण होने की विनती करते है । इसे लक्खी पूजा या कोजागरी पूजा के नाम से भी पुकारा जाता है । ऋतुफलो में बिजौरा, संतरा, कोल नारियक गन्ना, मूडी के लड्ड़ू , आखोई के लड्ड़ू, खीर आदि भोग प्रसाद एवं गन्ध पुष्प इत्यादि अर्पित करते है ।

यह पूजा धन सुख समृद्धि शांति स्वस्थ्यजीवन फसलो के समृद्धि, भंडार बढ़ने के लिए की जाती है । असम प्रान्त में दुर्गापूजा के कई मंडपो में सार्वजनिक रूप में लखीपूजा भी आयोजित की जाती है । अपने घर परिवार में रीतिनीति में लक्खी पूजा अमीर गरीब मध्यमवर्ग के सभी लोग पालन करते है । इस पूजा को नगर में मूर्ति रखकर जबकि गांव में मूर्तिविहीन पूजा की जाती है । कहीं मूर्ति तो कहीं तस्वीर रखकर पूजा करते है ।

-ललित शर्मा, डिब्रुगढ़

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ