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सकारात्मक ऊर्जा की अन्तर्धारा - चेतना के पंख


संसार में असंख्य जीवधारी हैं।उन जीवधारियों में करोड़ों मनुष्य हैं।उन मनुष्यों में बहुत कम हैं जो हिन्दी भाषी हैं। हिन्दी भाषियों में ऐसे बहुत कम भाग्यशाली हैं जिन्हें माँ सरस्वती ने काव्य का प्रसाद दिया है। जिन्हें काव्य का प्रसाद प्राप्त हुआ है उनमें महिलाएँ बहुत कम हैं।जिन महिलाओं को माँ शारदा से काव्य का प्रसाद प्राप्त हुआ है उनमें से ऐसी बहुत ही कम हैं जो इस प्रसाद को संजोए रख सकी हैं। डॉ सुमन सुरभि उन गिनी चुनी विशिष्ट महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने न केवल माँ सरस्वती के द्वारा प्रदत्त काव्य के प्रसाद को श्रद्धापूर्वक संजोए रखा है अपितु उसका साधनापूर्वक संवर्धन भी किया है।

गीत मानवीय भावावेगों की सम्पूर्ण आत्मीयता के साथ लयात्मक अभिव्यक्ति है।भाव की अखण्डता,आकार लघुता,तीव्र प्रभावान्विति, भावानुरूप भाषा,छन्द,कम शब्दों में अधिक बात कहने की सामर्थ्य आदि गीत की मूलभूत विशेषताएँ हैं।

कविता जीवन की उद्दात्त शाब्दिक अभिव्यक्ति है।जो जीवन में है वो कविता में परिलक्षित होता है। जिस प्रकार जीवन का रूप विविध वर्णी होता है तदनुरूप काव्य का स्वरूप भी विविधवर्णी होना स्वाभाविक है।
प्रस्तुत पुस्तक चेतना के पंख में डॉ सुमन सुरभि द्वारा रचित गीति रचनाएँ ही प्रमुखता से हैं।इन गीतों में जीवन के अनेक पक्ष अभिव्यंजित हुए हैं। श्रृंगार के संयोग,वियोग पक्षों के साथ- साथ सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित गीतों की प्रस्तुत संग्रह में उपस्थिति डॉ सुमन सुरभि जी के बहुआयामी सोच की परिचायक है।

जीवन की क्षण भंगुरता को अत्यंत सहजतापूर्वक कहा है-
माटी रे
अनोखा तेरा रूप है
कभी छाँव ,कभी धूप
कभी रंक,कभी भूप
अनोखा तेरा रूप है।

भारत भूमि की गौरव गाथा को शब्दों में पिरोया है-
शस्य श्यामला भारत भूमि
साक्षी है बलिदानों की
तपोभूमि है महात्मनों की
जननी है वीर जवानों की

यथा-
अमर शहीदों ने धरती पर
लहू से हिन्दुस्तान लिखा है
भारत माता के सजदे में
मेरा देश महान लिखा है

प्रस्तुत संकलन की सबसे बड़ी विशेषता मुझे लगी कि इन सभी रचनाओं में सकारात्मक ऊर्जा की अन्तर्धारा सतत् प्रवाहित है।दुख की घड़ी में आँसुओं के साथ साथ मुस्कुराने का अदम्य सामंजस्य डॉ सुमन सुरभि के गीतों को उत्कृष्टतम बना देता है।

जीवन के चौथेपन को नई सुबह की उपमा देना अतुलनीय है।
जीवन के चौथेपन वाली
नई सुबह फिर आई है
अगली पारी खेल रही है
जागी फिर तरुणाई है

प्रस्तुत संकलन की सभी रचनाएँ पाठकों को पसन्द ही नहीं आएँगी अपितु उनके अनुभव का हिस्सा बनकर उनका मार्गदर्शन भी करेंगी।मेरी असीम शुभकामनाएँ।

-डॉ कीर्ति काले, नई दिल्ली

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