तेरी हर अल्फाजो में रहती हूं
तेरे रक्त के प्रवाह में बहती हूं मैं।
माँ
मैं तेरी ही छवि हूं
तेरे ही रक्त से सींची गई हूं
जब जब तूने सांस ली मां
तब तब मैं पवन में झुली हूं।
माँ
मैं जब तेरे अंग में थी
तुम झूम रही थी नाच रही थी
मगर मेरे लिए
हौले से पाव रखती थी ।
तुझे पसंद हो या ना पसंद
आयरन विटामिन की चक्की लेती थी
बस मेरे लिए , बस मेरे लिए माँ
दर्द हो सीने में छुपा लेती थी ।
माँ मेरी माँ
लायी हो इस दुनिया में तो
मत छुपा अपने आँचल में
दिखा दुनिया को तू भी
तेरी आँचल की सक्ति को।
माँ
मत दे मुझे गुद्दे गुडिया
दिला दे मुझे भी बैट और हक्किया
मारने दे लात मुझे भी गेंद को
हौसले बढ़ा तू मेरी माँ ।
माँ
चूल्हा चौका तो है ही
सिर्फ चुडिया पहनने मत सीखा
तेरी लाडली हूं मैं आँखो की तारा हु
दुनिया का शैर भी तो करा।
माँ
मुझे लक्ष्मी सरस्वती ही नहीं
दुर्गा चंडी काली भी बना
इंसानो की बस्ती में बसते हैं भेडीये यहाँ।
माँ
बेटिया परायी अमानत तू तो मत कहना
तेरे दूध की हर घुंट की कसम
बिन पंख के उड़ दिखाउंगी
इस जगत में तेरा नाम ऊंचा करवाऊंगी।
माँ
सर पे यूँ ही हाथ रखना
तेरे चरण में फूल खिलाऊंगी
माँ मेरी माँ
तेरी सांसों में बसती हूं मैं
तेरी हर बातों में रहती हूं मैं
तेरे रक्त के प्रवाह में बहती हूं मैं
माँ मेरी माँ
-डॉ. रेखा यादव 'निर्झर', ललितपुर नेपाल
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