Subscribe Us

सब कुछ यहॉ बनावट है


घबराहट ही घबराहट है,सब कुछ यहॉ बनावट है
जीवन की ये सच्चाई है,केवल सांसों की आहट है

ये रिश्तेे, नाते दुनियादारी सारी एक दिखावट है
लगा टूटने मन ये मेरा, हर मन में एक बनावट है

देख जिसे मन ये ललचाए, नकली सभी सजावट है
जब जब आगे बढ़ने निकले, आयी सदा चारों रुकावट है

है ये जीवन भूलभूलैया नकली झिलमिलाहट है
जी कर देखा जीवन निकला केवल मलमलाहट है

जिंदा नहीं है इस दुनिया में,बाकी छटपटाहट है
आप हमारा जीवन है इसीलिए ये मुस्कुराहट है

-मनीषा प्रधान 'मन', रीवा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ