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चेहरा हमारे व्यक्तित्व का आईना

 


किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझनें के कई पहलू होते हैं, उसकी वाणी, उसका व्यवहार, उसके हाव-भाव, उसके गुण- अवगुण,  परिवार, समाज, आदि में उसका व्यवहार ,दूसरों से उसके व्यवहार का तरीका, उसकी वाणी , उसका बोलने का लहज़ा, उसके विचार , उसकी सोच , ऐसी कई व्यक्तित्व की परतें मिलकर किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करती है।

व्यक्ति जैसा सोचता है,जैसा विचार करता है, वैसा ही उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता चला जाता है, यदि व्यक्ति सकारात्मक सोच से युक्त है तो उसके व्यक्तित्व में शालीनता, उसकी वाणी में मधुरता , सरलता,  सभ्यता,  शिष्टता, और मुस्कुराहट का समावेश दिखाई देगा और यदि व्यक्ति नकारात्मक सोच से परिपूर्ण है तो उसके व्यक्तित्व में ईर्ष्या , द्वेष, घृणा , वैमनस्यता, कटु वाणी, असभ्यता सार्वजनिक रूप से अपशब्दों का प्रयोग का दुर्गुण आदि अवगुण दृष्टिगत होने लगते हैं, और उसके विचारों से ही उसके चेहरे का निर्माण होना शुरू हो जाता है।

कई बार हम किसी व्यक्ति को देखकर सोचते हैं कि फलां व्यक्ति चेहरे से ही गुस्सैल और अव्यावहारिक लग रहा है और कई लोगों के चेहरे देखकर हम समझ जाते हैं कि यह व्यक्ति भला और प्रसन्नचित स्वभाव का होगा। इसलिए कहा जाता है जैसी सोच वैसा व्यक्तित्व। अर्थात हमारे विचार और हमारा व्यवहार ही हमारे चेहरे को, हमारे व्यक्तित्व को आकार प्रदान करते हैं।

अतः अपने व्यक्तित्व को शानदार प्रभावी और लोकप्रिय बनाना है तो अपने व्यक्तित्व में सरलता, निश्छलता, सहजता,वाणी में मधुरता को सम्मिलित कीजिए सभी के लिए अच्छा सोचिए क्योंकि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, जो दिया जाता है, वही लौटकर वापस हमारे पास आता है यदि हम दूसरों को सम्मान देंगे तो हम तक वह द्विगुणित होकर लौटकर आएगा और  हंसते, मुस्कुराते, सरल , शिष्ट और मधुर भाषी लोग सभी को पसंद आते हैं और ईश्वर की भी उन पर विशेष कृपा रहती है। तो आज ही अपने व्यक्तित्व में सकारात्मकता का समावेश कीजिए और अपने व्यक्तित्व को प्रभावी लोकप्रिय बनाते हुए ईश्वर के आशीर्वाद के विशेष पात्र बन जाइए।

-डॉ अनामिका सोनी, उज्जैन

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