भारत ही नहीं विश्व की प्रथम व एकमात्र पुस्तक के रूप में देश के भावी कर्णधारों को समर्पित है। लुप्त होती हुई लोक भाषाओं बोलियों के संरक्षण के उद्देश से पुस्तक का संकलन व प्रकाशन साहित्यकार मीना गोदरे ने किया। पुस्तक में देश के विभिन्न क्षेत्रों के 93 रचनाकारों की 186 पद्य रचनाएं लोकगीत और कविता के रूप में प्रकाशित हुई है। कुछ बोलिए तो ऐसी है जो कभी लिखी ही नहीं गई, आने वाली पीढ़ी के लिए यह पुस्तक निश्चित ही एक धरोहर के रूप में ऐतिहासिक होगी । भारत की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने, हमारी लोक परंपराओं को अक्षुण्य, बनाए रखने चेतना और लोकजीवन के प्राणों में बसने वाली बोलियां को संरक्षित करना अत्यंत महत्वपूर्ण था ।
कोरोना काल में लाक डाउन के चलते , एक सकारात्मक सोच के साथ यह महत्वपूर्ण पुस्तक तैयार की गई है। इस पुस्तक में वह लोक भाषाएं हैं जो भारत की पारंपरिक विरासत में प्राण फूंकती हैं अभी तक 1-2 भाषाओं को लेकर पुस्तक लिखी जाती थी। किंतु यह पुस्तक इसलिए विशेष है क्योंकि इसमें देश की 40 लोक भाषाएं हैं जिसमें कश्मीर, हिमाचल से लेकर आदिवासी क्षेत्रों तक की वह समस्त बोलियां सम्मिलित की गई है जो देवनागरी लिपि में लिखी जा सकती थी।
हिंदी की 5 उपभाषाओं उनकी 18 बोलियां और 12 उप बोलियों के साथ पुस्तक में पंजाबी ,सिंधी मराठी गुजराती भाषा की रचनाओं को भी सम्मिलित कर देश की एकता और अखंडता को दर्शाया गया है । देश में अनेक बोलियां और भाषाएं होते हुए भी हिंदी को सर्वोपरि रखने ,उसे मातृभाषा का दर्जा देने तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवादों में सरलता सहजता बनाए रखने के लिए ,देश में भिंन्न भिंन्न बोलियों और भाषाओं के होते हुए भी सभी का समर्थन हिंदी को प्राप्त है। क्योंकि ये विभिन्न बोलियां बोलने,लिखने वाले ही हिंदी के श्रेष्ठ रचनाकार भी हैं। इस पुस्तक को लिखने में सभी वर्गों के ,सभी उम्र के, उच्च शिक्षा प्राप्त तथा उच्च पदों पर पदस्थ लोगों से लेकर हाई स्कूल के सामान्य विद्यार्थी तक की रचनाएं अपार उल्लास के साथ प्राप्त हुई है जिन्हे संकलित किया गया है । पुस्तक को सरल बनाने के लिए एक चित्र द्वारा लोक भाषाओं का विभाजन किया है वह तालिका द्वारा उनके स्थान स्पष्ट किए हैं। यह पुस्तक विश्व की पहली पुस्तक है जिसमें 40 लोक भाषाएं व चार अन्य भाषाओं को देवनागरी लिपि में लिखा गया है पुस्तक की विषय में विस्तृत जानकारी आदि संपादकीय में दर्शाई गई है ।और प्रत्येक उपभाषा के पहले एक एक पेज उन लोक भाषाओं से संबंधित जानकारी का लगाया गया है। यह पुस्तक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में हमेशा महत्वपूर्ण रहेगी , हमें पूर्ण विश्वास है यह पुस्तक देश की एकता और अखंडता बनाए रखने में मील का पत्थर साबित होगी।
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