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भक्तामर महानुष्ठान आराधना का आयोजन सम्पन्न

हैदराबाद।(सरिता सुराणा) 
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, सिकन्दराबाद के तत्वावधान में गत रविवार क्लासिक गार्डन के प्रांगण में सैंकड़ों साधक-साधिकाओं की उपस्थिति में भक्तामर महानुष्ठान आराधना का आयोजन आचार्य श्री महाश्रमण जी के विद्वान सुशिष्य तपस्वी साधक योगी मुनि श्री ज्ञानेंद्र कुमार जी के सान्निध्य में किया गया। अनुष्ठान से पूर्व मुनि श्री ज्ञानेंद्र कुमार जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भक्तामर एक कालजयी स्तोत्र है। यह दिगम्बर एवं श्वेताम्बर जैन समाज में सर्वमान्य है, यहां तक कि जैनेत्तर समाज में भी इसका पाठ किया जाता है। इस स्तोत्र के स्मरण का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास करना है। इसका उपयोग साधक आत्मशुद्धि के लिए करें तो दूसरी उपलब्धियां स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। भौतिक कामनाओं की पूर्ति के लिए इसे करने पर पुण्य कमजोर हो जाते हैं। मुनि श्री ने आगे बताया कि आचार्य मानतुंग सूरी को राजाज्ञा से हथकड़ियां और बेड़ियां लगा कर जब 48 कोठरियों की शृंखला में अंतिम कोठरी में बंद कर दिया गया, तब उन्होंने अपनी विशुद्ध भाव धारा के साथ भगवान आदिनाथ का स्मरण करते हुए इस स्तोत्र का संगान किया। उस समय न तो कोई इसे लिखने वाला था और न ही कोई सुनने वाला। वे अपनी भाव धारा में गाते चले गए और 48 वें श्लोक तक आते-आते उनकी हथकड़ियां और बेड़ियां टूट कर गिर गई। सभी द्वारपाल यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए और उन्होंने जाकर के राजा को इस बात की सूचना दी। राजा इस बात से बहुत प्रभावित हुआ और जैन धर्म की भी विशेष प्रभावना हुई।

मुनि श्री ने कहा कि इस अनुष्ठान को प्रारंभ करने से पहले सर्वप्रथम रक्षा कवच का निर्माण करना चाहिए तत्पश्चात 1 लोगस्स का ध्यान करके शुभ संकल्प एवं देवी का आह्वान करना चाहिए और अंत में यंत्र को स्थापित करना चाहिए। इस अनुष्ठान को संपन्न करते हुए विसर्जन करना अत्यंत आवश्यक है। किसी भी महानुष्ठान की आराधना को विधि सहित करने पर ही वह सफल होती है। अविधि से पकड़ा गया शस्त्र और अविधि से पढ़ा गया शास्त्र घातक हो सकते हैं। लगभग 4 घंटे तक चलने वाले इस महानुष्ठान का प्रारंभ मुनि श्री ने नमस्कार महामंत्र व भक्तामर वंदना के साथ किया। इस स्तोत्र का श्लोकों के साथ ऋद्धि जाप व मंत्र जाप करवाया गया। इस जप महानुष्ठान में मुनि श्री चैतन्य कुमार जी अमन, मुनि श्री प्रशांत कुमार जी, मुनि श्री कुमुद कुमार जी, मुनि श्री विमलेश कुमार जी, मुनि श्री विनीत कुमार जी एवं मुनि श्री सुबोध कुमार जी का सराहनीय सहयोग रहा। तेरापंथी सभा के अतिरिक्त तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल और तेरापंथ प्रोफेशनल फाॅरम का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में महेन्द्र दूगड़, राकेश सुराणा, अरिहन्त गुजराणी, अनिल दूगड़, लक्ष्मीपत बैद, सुरेश सुराणा, खुश भंसाली, विनोद दूगड़, संजय कुचेरिया, नवीन लूणिया, अजीत कुंडलिया, हुकमीचंद कोटेचा, श्वेता सेठिया और सीमा नाहर का सहयोग रहा। क्लासिक गार्डन के मालिक प्रदीप अग्रवाल को भक्तामर यंत्र प्रदान करके उनका अभिनंदन किया गया। राकेश सुराणा के आभार ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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