नया साल है नया
सुमति श्रीवास्तव,जौनपुर
सूरज ने ओढ़ ली रजाई ।
ओस शाखों में देती दिखाई ।।
पुराना साल कहीं जा रहा ।
चलता समीर ये बता रहा ।।
चादर कुहासे की है घनी ।
मानो धरा बादल की बनी ।।
बच्चे भी तो है ठिठुर रहे।
ठंडी ठंडी पवन है बहे।।
कुम्हलायी है कोंपले भी।
अलि भी नही अब दिखता कभी।।
अलसाये से हर नर नारी ।
गरमी भागी बन बेचारी।।
युवाओं में जोश है छाया ।
देखो नया साल है आया ।।
मुस्काती है नन्ही गुडि़या ।
सजती सुंदर सारी दुनिया ।।
चादर ओढे उजली उजली ।
धूप सुहानी उजली निकली ।।
बीत गया है साल पुराना ।
नया साल है नया जमाना।।
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