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विलक्षण प्रतिभा के धनी व सादगी के पुजारी लाल बहादुर शास्त्री 





✍️सुनील कुमार माथुर 

 

2 अक्तूबर का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान हैं चूंकि 2 अक्तूबर को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और  हमारे पूर्व प्रधानमंत्री  स्व0 लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिन मनाया जाता  है ।  किसी भी राष्ट्र में शायद ही ऐसा सुनहरा दिन आया हो जब दो महा हस्तियों का जन्म एक ही दिन हुआ हो और उनका जन्म दिन एक साथ हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हो । स्व0 प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री व गांधी  जी सादगी के पुजारी थे । वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे । उनमें बचपन से ही देश भक्ति की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी । उनकी सदैव यही इच्छा रही कि देश की जनता सदैव खुशहाल रहे । देश भक्ति की भावना का ही यह परिणाम है कि वे राष्ट्रीय आन्दोलन में अग्रणीय रहे  

शास्त्री जी  को  देश की सेवा के लिए  जब जब जो - जो जि म्मेदारी सौंपी तब तब वे उस जिम्मेदारी पर खरे उतरे । उन्हें जो भी पद सौपा उस पद का उन्होंने  सदा मान सम्मान ही बढाया । उन्हें जब रेल मंत्री बनाया गया तब एक रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया । उन्होंने यह इस्तीफा किसी दबाव में आकर नहीं दिया वरन नैतिक जिम्मेदारी अपने ऊपर ली  और रेलमंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया । 

उनका कहना था कि हमारे फौजी भाई सीमा पर रहकर देश की सेवा करते हैं तो दूसरी ओर हमारे किसान भाई अनाज पैदा कर देश की जनता की सेवा करते हैं इसी भावना को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया और जवानों और किसानों का हौसला बढाया । प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच कर भी उन्होंने कभी भी लोभ , लालच व अंहकार को अपने पास फटकने तक नहीं दिया । सत्य कहने में ही वे विश्वास करते थे । 

वे विलक्षण प्रतिभा के धनी व सादगी के प्रतीक थे । प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने देश को मजबूती प्रदान की । भारत रत्न से सम्मानित शास्त्री जी ने राजनीति के उच्च मूल्यों को स्थापित करने का काम किया । उनका सम्पूर्ण जीवन देशवासियों की सेवा करने के लिए समर्पित रहा ।

अतः उनके जीवन से युवापीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके जीवन को आत्मसात करना चाहिए । शास्त्री जी का प्रधानमंत्रित्व काल स्वर्णिम काल था ।वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे । उनके लिए राष्ट्रहित ही सर्वोपरि था । वे आज भले ही हमारे बीच में न हो मगर उन्होंने जो कार्य किये उसे आज भी समूचा विश्व मानता है कि वे कितने ईमानदार, निष्ठावान, सहृदय , देश भक्त इंसान थे । सच्चे आदर्शों का मूल्य उन्होंने हमें सिखाया । सबका हित, मन की निर्मलता , सत्य  , सादगी , स्वाभिमान का पाठ हमें पढाया । कैसे भूला पायेंगे हम स्नेह, सम्बल, प्यार दुलार कर्म धर्म सहिष्णुता की प्रेरणा नहीं भुला पायेंगे । आपके आलोकित पथ पर हम चलते ही जायेंगे ।

 

*जोधपुर राजस्थान 

 


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