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क्या मोबाइल भी फैला रहा है कोरोना संक्रमण

ऑस्ट्रेलिया की नेशनल साइंस एजेंसी सी एस आई आर ओ ने अपनी नई रिसर्च में दावा किया है कि कोरोना वायरस मोबाइल फोन, करेंसी नोट्स और स्टील पर सबसे ज्यादा यानी 28 दिनों तक जीवित रह सकता है, जबकि ऐसी स्थितियों में फ्लू का वायरस केवल 17 दिनों तक जीवित रहता है। यह रिसर्च प्रयोगशाला के अंधेरे कमरे में 20 डिग्री तापमान पर की गई।

तापमान जितना कम होता है, कोरोना वायरस उतनी ही देर तक टिक पाता है।अब सर्दियां आ रही हैं और सर्दियों में तापमान कम होगा अतःअब कोरोना वायरस के अधिक देर तक जिंदा रहने की संभावना भी बढ़ गई है।

अभी तक यह समझा जाता था कि कोरोना वायरस अलग-अलग सतहों पर 3 दिनों से 6 दिनों तक ही जिंदा रह पाता है। किंतु अब नई रिसर्च से पता चला है कि समतल सतह पर यह वायरस ज्यादा दिनों तक जीवित रहता है, जबकि खुरदुरी सतह पर यह वायरस 14 दिनों के बाद जीवित नहीं रह पाता।

मोबाइल फोन की स्क्रीन भी समतल होती है। एक शोध के अनुसार एक व्यक्ति दिन में लगभग 26 सौ बार अपना मोबाइल छूता है। अतः वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना संक्रमण को फैलाने में मोबाइल फोन एक बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है।

हालांकि अलग-अलग परिस्थितियों और अलग-अलग तापमान के अनुसार यह स्थिति भिन्न हो सकती है। ज्यादा देर तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर इसका तापमान बढ़ जाता है, मतलब मोबाइल फोन गर्म हो जाता है और गर्म सतह पर यह वायरस ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता।

मोबाइल फोन को वायरस मुक्त करने के लिए किसी रुई, सूती कपड़े या टिश्यू पेपर में सैनिटाइजर को स्प्रे कर फिर इससे मोबाइल फोन को साफ करना चाहिए। किंतु लिक्विड मोबाइल के अंदर न जा पाए, इसका ध्यान रखना चाहिए। सैनिटाइजर करने के बाद मोबाइल फोन को 5 मिनट के लिए सूखने को रख देना चाहिए। सैनिटाइजर को मोबाइल फोन की सतह पर सीधे स्प्रे कभी नहीं करना चाहिए। इस तरह मोबाइल फोन को सैनिटाइज करके हम कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से रोक सकते हैं।

कोरोना वायरस से बचाव का एक तरीका हर्ड इम्यूनिटी बताया जाता है। इस प्रक्रिया में एक बड़ी आबादी वायरस से संक्रमित हो जाती है, तब लोगों के शरीर में वायरस से लड़ने वाले एंटी बॉडीज़ स्वतः ही निर्मित हो जाते हैं और लोग वायरस से इम्यून होने लगते हैं।

दूसरे शेरो सर्वे के अनुसार अगस्त 2020 तक भारत में 7% लोग यानी छह करोड़ लोग संक्रमित हो चुके थे। जानकारों के अनुसार यदि भारत की 60 से 70 प्रतिशत आबादी कोरोना से संक्रमित हो जाए और लोगों में इसकी एंटीबॉडीज खुद बन जाएं तो वायरस का संक्रमण धीरे-धीरे स्वतः समाप्त होने लगेगा। किंतु इस प्रक्रिया में बहुत लोगों की जान जाने का खतरा भी है। अतः हर्ड इम्यूनिटी को इसका सही समाधान नहीं माना जा सकता। इसीलिए लोग कोरोना वायरस की वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।


*रंजना मिश्रा

कानपुर, उत्तर प्रदेश

 


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