✍️डॉ. रीना मालपानी
शब्दों का स्नेहिल अभिनव रूप है हिन्दी,
अन्तर्मन की अनुभूतियों की नूतन छवि है हिन्दी।
भाषाओं का अद्वितीय आशीष है हिन्दी,
मन के द्वार की गहन थाह है हिन्दी।
हृदयतल में स्वागत का सुनहला रूप है हिन्दी,
अलंकरण का अनुपम सौन्दर्य है हिन्दी।
अनुभूति-अनुभव का सामंजस्य है हिन्दी,
प्रतिनिधित्व की अलौकिक क्षमता है हिन्दी।
सुंदर शिल्प संयोजन का प्रारूप है हिन्दी,
चरित्र के उदघाटन का मूल रूप है हिन्दी।
स्वच्छंदता की उन्मुक्त उड़ान है हिन्दी,
ओज की तेजस्वी किरण है हिन्दी।
ओजस्विनी उत्कृष्ठ स्वरूप है हिन्दी,
माँ शारदे का वरदान हैं हिन्दी।
संस्कृत का सुंदर प्रतिरूप हैं हिन्दी,
सरलता का मधुर स्वरूप हैं हिन्दी।
भावों की सार्थक अभिव्यक्ति है हिन्दी,
सम्प्रेषण की सशक्त हस्ताक्षर है हिन्दी।
संस्कृति का उन्नायक स्वरूप हैं हिन्दी,
संवादों की सरलता का प्रतिबिंब हैं हिन्दी।
अतुलनीयता की अद्भुत पहचान है हिन्दी,
भारत का गौरवगान है हिन्दी।
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