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देने का सुख 



✍️राजेंद्र श्रीवास्तव

हमारी परम्पराएँ कहती हैं कि जब भी कुछ देने का मौक़ा आए तो चूकना नहीं चाहिए क्योंकि इससे पता लगता है कि आप किस तरह के इंसान हैं,और दूसरों के साथ कैसे रिश्ते हैं।

जब भी देने का अवसर आयेआप स्वयं दें,इसलिए नहीं कि किसी इंसान को ज़रूरत है,बल्कि इसलिए कि किसी को देने से आपको आत्मिक ख़ुशी मिलती है।देने से पता लगता है कि किसी ज़रूरतमंद के लिए आपके मन में करुणा है।

जब भी दें,पूरी भावना से दें।जब आप मन से देते हैं,तो आप ख़ुद को ख़ुशी दे रहे हैं,न कि किसी और को।जब आप किसी ज़रूरतमंद को देते हैं,तो आपको तत्काल अधिकतम लाभ मिलता है,आपकी एक इमेज बनती है,जिसे दे रहे हैं,उसकी दुआ मिलती है।

यदि आप किसी को अपने लिए दे रहे हैं,भीतर से उपजी करुणा के लिए दे रहे हैं,बिना किसी अपेक्षा के दे रहे हैं,देना चाहते हैं,इसलिए दे रहे हैं तो आप कभी इस बात पर ग़ौर नहीं करना चाहेंगे की आपके दिए पैसे का क्या उपयोग हुआ।आपका देना यह बताता है कि उस वक़्त जो आपने उनके लिए महसूस किया वही किया।यह आपके जीवन का गौरवपूर्ण लम्हा है।

अगली बार आपको देने का मौक़ा मिले तो सबसे पहले अपने दिल की सुनें और उसके अनुरूप काम करें।चाहे दें या ना दें।यदि आप नहीं दे रहे हैं तो अपने भीतर होने वाले संवाद को सुनें।यह बताएगा कि आप अपनी आत्मा से कितना जुड़े हैं,और कितने नहीं।

यदि आप किसी को कुछ देते हैं,क्योंकि देना आपके स्वभाव में है,तो आपको तत्काल रिवार्ड मिलेगा,आपकी पहचान होगी।

यह सबसे बड़ा तोहफ़ा होगा।यह ज़िंदगी का तोहफ़ा है।ज़िन्दगी  हमेशा ख़ुद को इस रूप में पेश करती है कि मैं हूँ।

एक बार दे देने के बाद दिया हुआ आपके लिए बेमानी हो जाता है,वह आपका नहीं रहता,ना कोई अपेक्षाएँ।यदि अपेक्षाएँ हैं,तो दान दान नहीं है,ऐडवैन्स में भुगतान बन जाता है,कि उसके बदले में बाद में सहयोग लेने वाले से आपकी कुछ उम्मीदें पूरी होंगी।

इसीलिए शास्त्रों में गुप्त दान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है,यदि जिसे दिया गया उसे पता ही ना हो कि किसने दिया ,तो आपको ख़ुशी के अलावा कोई उम्मीद नहीं रहेगी।

दान केवल पैसों का नहीं और भी तरीक़े से होता है।ज्ञान दान सबसे बड़ा दान माना जाता है,।  जिसे साथ कि ज़रूरत है,उसे समय दान भी दिया जा सकता है।किसी कि हौसला अफ़्जाई के लिए आपके कहे गए शब्द भी  दान की श्रेणी में आएँगे।

इसीलिए देने का अवसर कभी नहीं चूकें,क्योंकि देने से आपको तुरंत रिवार्ड मिलेगा,देकर आपको संतोष होगा,आप अच्छा महसूस करेंगे,यही तो है देने का सुख।

इसीलिए भगवान से यही प्रार्थना करना चाहिए की

हे ईश्वर मुझे अधिक लेने के नहीं,अधिक देने योग्य बनाओ।

 

*भिलाई नगर,दुर्ग 

 


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