Subscribe Us

रक्षा बंधन है बड़ा



✍️ विजय 'तन्हा'

रक्षा बंधन है बड़ा, इक पावन त्यौहार। 

बहना हक से मांगती, है अपना उपहार।।

 

रक्षाबंधन का पर्व ये, आता है प्रतिवर्ष। 

अधरों पर है बहन के, दिखता काफी हर्ष।।

 

बहन कलाई बांधती, है रेशम की डोर।

 भैया की यश कीर्ति हो, फैले चारों ओर।।

 

भाई बहन के प्यार की, कितनी पावन रीत।

पावन है रिश्ता बहुत, पावन इसकी प्रीत।।

 

लघु धागा लगता मगर, कौन दे सका मोल।

नहीं तराजू बन सका, जिसमें जाए तोल।। 

 

करती है शुभकामना, तिलक लगाकर भाल। 

खुशियों से भैया रहे, हर पल मालामाल ।। 

 

मनभावन पावन बना, ये राखी का पर्व।

बहना भाई से मिले, करके खुद पर गर्व।।

 

काल कुरोना चल रहा,  बहना रहती दूर। 

लाख जतन करती, मगर आने को मजबूर।। 

 


*पुवायाँ, शाहजहाँपुर (उ.प्र.)

 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ