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बच्चों का ज्ञानवर्धन करने वाली कहानियों का संग्रह डिज़ाइनर घोंसला

लगभग तीन दशकों से अपने मोटिवेशनल लेखन द्वारा उदास दिलों में उमंग का संचार कर रहे ख्यातनाम लेखक श्री शिखर चंद जैन नन्हे पाठकों के लिए कहानियों का 'डिज़ाइनर घोंसला' लेकर आए हैं। इस पुस्तक में बच्चों का मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन करने वाली इक्कीस कहानियां हैं। ये पुस्तक बच्चों और बड़ों दोनों द्वारा खूब पसंद की जा रही है।  ये पुस्तक बाल मनोविज्ञान के विभिन्न छुए-अनछुए पहलुओं को बड़े ही सहज और सरल ढंग से उजागर करती है ।
प्रथमतः तो इसका शीर्षक 'डिजाइनर घोंसला' चमत्कृत भी करता है और उत्सुकता भी जगाता है । इस पुस्तक की पहली कहानी का नाम भी 'डिजाइनर घोंसला' है जिसमें एक प्यारी सी कहानी के माध्यम से प्लास्टिक के नुकसानों को इंगित किया गया है । कहानी में बच्चों को पक्षियों के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ा गया है । 'जंगल जंगल बात चली है' कहानी में पिता - पुत्री के सहज संवाद के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि जीव-जंतु भी आपस में बातचीत करते हैं । 'ऊंट मकड़ी' कहानी जहाँ मकड़ियों के अद्भुत संसार के बारे में बताती है, वहीं बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान भी करती है । 'सिक्स्थ सेंस' कहानी दादा - पोते की बातचीत के माध्यम से विभिन्न जीवों और पशु - पक्षियों की ' संभावित खतरे ' को भांपने की असाधारण क्षमता पर प्रकाश डालती है ।
'चांद पर कूड़ा' कहानी में कूड़ा -करकट फैलाने की इंसानी फितरत पर लेखक ने कुछ इस तरह कलम चलाई है कि वे बच्चों को गहराई से अपनी बात समझाने में सफल हुए हैं । 'फ़ोटो केक' कहानी खेल खेल में बच्चों का परिचय आज की नवीनतम तकनीक से कराती है । पेचीदा तकनीकी ज्ञान का सरल कहानी के रूप में प्रस्तुतिकरण आकर्षक बन पड़ा है । 'चतुरवन में भोलू भेड़िया ' कहानी बच्चों को सदाचार और नैतिकता की सीख देती है । 'शतरंज की सीख' कहानी में शतरंज के खेल का सामान्य परिचय कुछ इस तरह से दिया गया है कि यह खेल बच्चों में उत्सुकता जगाता है ।
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में रहने पक्षी विभिन्न वस्तुओं का इस्तेमाल अपने भोजन की प्राप्ति के उपकरण के रूप में करते हैं, इस तथ्य को विभिन्न रोचक उदाहरणों द्वारा ' पंछी चतुर सुजान' कहानी में प्रस्तुत किया गया है । 'जंगल में मंगल', 'सुंदरवन में व्हाट्सप्प स्कूल', 'चिन्नी सी, आधी सी, गायब सी', 'तरबूज पिघल गया ', ' हम्पी और डंपी' जैसी कहानियां जहां पशु-पक्षियों की दुनिया से बच्चों का परिचय कराती हैं, वहीं जिंदगी जीने के सरल सूत्र भी सहज ही सिखा देती हैं ।
लौह मानव और ग्लोबोफ़ोबिया जैसी कहानियां ज्ञानवर्धक हैं पर इनका स्वरूप कहीं भी उपदेशात्मक होकर बोझिल नहीं हुआ है ।किताब की भाषा शैली सम्प्रेषण की दृष्टि से प्रभावी है । हर कहानी मनोरंजक है, सीख देती है और मन पर छाप छोड़ने में सफल सिद्ध हुई है । कहानियां आकार की दृष्टि से छोटी हैं... या यूं कहिए कि अनावश्यक विस्तार नहीं है । इस बात को लेखक ने बखूबी समझा है कि लंबी कहानियां बच्चे कम ही पसन्द करते हैं.... पुस्तक में विद्यमान रेखाचित्रों और चित्रों ने लेखक के शब्दों और भावों का बखूबी साथ दिया है ।

पुस्तक - डिज़ाइनर घोंसला 
लेखक - शिखर चंद जैन
प्रकाशन- अंतरा शब्दशक्ति प्रकाशन  
समीक्षक- डॉ. अलका जैन 'आराधना'

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