✍️सुषमा दीक्षित शुक्ला
आज श्याम सँग झूला झूलें,प्यारी राधा रानी।
सावन पर भी यौवन छाया, झमझम बरसे पानी ।
सावन पर भी यौवन छाया, झमझम बरसे पानी ।
हरा भरा हरियाला मौसम,भीगा भीगा तन मन है ।
राधाकिशन की प्रीति देखकर, हर्षित सारा उपवन है ।
नाच रहीं यमुना की लहरें,कितनी सुन्दर थिरकन है ।
धरती अम्बर एक हुए हैं ,पावस विह्वल जोगन है ।
दशों दिशाएं झूम रही हैं ,मादकता मे मधुबन है ।
मोर पपीहा पँछी गाये ,जैसे पागल विरहन है ।
कोमल किसलय जैसी राधा ,डूब गयी है मोहन में ।
जगमोहन भी डूब गये हैं,राधा के सम्मोहन में ।
सखियाँ सारी बाट जोहती,अपनी अपनी बारी की ।
स्वयं प्रकृति भी दृश्य देख यह,गर्वित है सुकुमारी सी ।
मोहन जैसा प्रियतम पाकर ,धन्य हुई राधा रानी ।
राधा बिना कृष्ण भी आधा, बात सभी ने ये मानी ।
अटल प्रेम का अद्भुत बन्धन ,राधा कान्हा की दीवानी ।
अमर प्रेम इतिहास रचाया ,हुई अमर ये प्रेम कहानी।।
*लखनऊ (उ.प्र.)
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