*पुष्पा सिंघी
बेटियाँ आतीं-तलाशतीं
छूटा हुआ बचपन
दादी-नानी की कहानियाँ
झूलों वाला सावन
माँ-बाबा का लाड़-दुलार
नेहिल घर-आँगन
रूठते-मनाते , हँसते-खेलते
भाई और बहन
स्मृति-सागर में मन खोता है
मायका पुराना नहीं होता है !!
सुनहरे दिन , चाँदनी रातें
भूले-बिसरे गीत
सखियों की हँसी-ठिठोली
बिछुड़ी हुई प्रीत
रस्मों-कसमों के निशान
जीवन की रीत
जाने-पहचाने गली-चौराहे
वृक्ष घनेरे मनमीत
श्यामल घन देह भिगोता है
मायका पुराना नहीं होता है !!
धोरों की धरती पे छेड़तीं
सपनों की तान
अधूरे चित्रों में रंग भरकर
पुलक उठे प्राण
घर-बार पे आशीष लुटातीं
जिसने दी पहचान
भीगी आँखें जी भर देखतीं
विधि का विधान
मिलन-आस हृदय संजोता है
मायका पुराना नहीं होता है !!
*कटक
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ